शुक्रवार 14 जनवरी को सूर्य राशि बदलकर मकर में आ जाएगा। इस दिन पौष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि रहेगी। इसलिए इस दिन सूर्य के साथ भगवान विष्णु की भी विशेष पूजा की जाएगी। राष्ट्रीय पंचांग और काशी के कुछ विद्वानों का मानना है कि 14 जनवरी को सूर्य का राशि परिवर्तन दोपहर में होने से इसी दिन सूर्योदय से शाम तक पुण्यकाल रहेगा। इस दौरान तीर्थ स्नान, सूर्य पूजा और दान करने का कई गुना शुभ फल मिलेगा।
महिलाओं को मिलेगी तरक्की और सुख
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक, शुक्रवार के अधिपति भृगु हैं। शुक्र के अधिपत्य में आने वाले कपड़े, ज्वेलरी, ग्लैमर और सुख-सुविधा की चीजों का कारोबार करने वाले लोगों के लिए ये समय शुभ रहेगा। संक्रांति के शुभ फल से अन्न और धान बढ़ेगा। महिलाओं को तरक्की मिलेगी और सुख बढ़ेगा।
देश के लिए इस बार की मकर संक्रांति शुभ
मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा, नदियों में स्नान, देव दर्शन और दान से विशेष पुण्य फल मिलेगा। डॉ. मिश्र के मुताबिक इस संक्रांति का वाहन बाघ और उप वाहन घोड़ा होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का पराक्रम बढ़ेगा। दूसरे देशों से संबंध मजबूत होंगे। विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए ये संक्रांति शुभ रहेगी। लेकिन अन्य कुछ लोगों में डर बढ़ सकता है। अनाज बढ़ेगा और महंगाई पर नियंत्रण भी रहेगा। चीजों की कीमतें सामान्य रहेंगी।
माता गायत्री की आराधना के लिए सबसे बेहतर समय
डॉ. मिश्र बताते हैं कि मकर संक्रांति को तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और देवताओं का प्रात:काल भी शुरू होता है। सत्यव्रत भीष्म ने भी बाणों की शैय्या पर रहकर मृत्यु के लिए मकर संक्रांति की प्रतीक्षा की थी।
मान्यता है कि उत्तरायण सूर्य में मृत्यु होने के बाद मोक्ष मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसी दिन से प्रयाग में कल्पवास भी शुरू होता है। धर्म ग्रंथों में माता गायत्री की उपासना के लिए इससे अच्छा और कोई समय नहीं बताया है।
तिल-गुड़ और वस्त्र दान से मिलेगा पुण्य
इस बार संक्रांति देवी के हाथ में कंगन, जटी फूल, गदा और खीर रहेगी। ये भोग की अवस्था में रहेगी। इससे संकेत मिलता है कि देवी आराधना से फायदा होगा। इस साल राजनीतिक हलचल तेज होगी। तिल, गुड़ और कपड़ों का दान करने से अशुभ ग्रहों का बुरा असर कम होगा।
2017, 2018, 2021 और अब 2022 में भी 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति है। इसके बाद अगले दो सालों में 15 जनवरी फिर फिर 2025 और 2026 में 14 जनवरी को ये पर्व मनाया जाएगा।