मंगलवार, 18 जनवरी से माघ मास शुरू हो गया है। इस महीने आने वाली पूर्णिमा पर चंद्रमा मघा नक्षत्र में होता है। इसलिए इस महीने का नाम माघ पड़ा। वैसे तो हिंदू कैलेंडर में सभी महीनों का महत्व है, लेकिन माघ मास बहुत खास है। मान्यता है कि इस महीने में तीर्थ और पवित्र नदियों के जल में डुबकी लगाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और स्वर्ग मिलता है। इसलिए सोमवार को पौष महीने की पूर्णिमा से ही माघ मास के स्नान शुरू हो गए।
कल्पवास: एक महीने की तपस्या
कल्पवास एक महीने का समय होता है। यानी पौष पूर्णिमा से माघ मास की पूर्णिमा तक ये तपस्या की जाती है। जिसमें गंगा-यमुना संगम के किनारे एकांत में नियम-संयम से रहकर व्रत-पूजा और स्नान-दान किया जाता हैं। साथ ही उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान लोग गंगा में हर रोज आस्था की डुबकी लगाते हैं। एक दिन में तीन बार स्नान करते हैं और 24 घंटे में एक ही बार भोजन करते हैं। इसमें एक महीने तक लोग भक्ति करते हैं और साधारण जीवन जीते हैं।
कल्पवास से ब्रह्म तपस्या और कई यज्ञों का पुण्य
जो लोग कल्पवास में रहते हैं उन्हें पूरे महीने काम, क्रोध, मोह, माया से दूर रहने का संकल्प लेना होता है। पुराणों के मुताबिक ऐसा करने से हर तरह के पाप खत्म होते हैं। ग्रंथों में ये भी बताया है कि कल्पवास करने वाले को कई यज्ञ और ब्रह्मा की तपस्या करने के बराबर फल मिलता है।
माघ में दान का महत्व
पद्म और स्कंद पुराण में कहा गया है कि इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान के साथ जरूरतमंद लोगों को दान भी देना चाहिए। इन दिनों ठंड से बचने के लिए जरुरतमंद लोगों को ऊनी कपड़े और कंबल का दान देना चाहिए। साथ ही गुड़, तिल और अन्य खाने की चीजें भी दान करनी चाहिए। आग तापने के लिए लकड़ी भी दी जा सकती है। साथ ही माघ मास में धन और अनाज का दान करने से अनंत पुण्य फल मिलता है।
माघ मास का महत्व
पद्म पुराण में माघ महीने का महत्व बताया गया है। इस पुराण में बताया गया है कि माघ में तीर्थ स्नान करने से 14 तरह के दान करने जितना पुण्य मिलता है। पुराणों में बताया गया है कि कार्तिक मास में एक हजार बार गंगा स्नान का उतना ही महत्व है जितना माघ महीने में सौ बार स्नान करने से मिलता है। इसके साथ ही माघ महीने में उगते सूरज को जल चढ़ाने से बीमारियां दूर होने लगती है और उम्र भी बढ़ती है।