शनिवार, 18 दिसंबर और रविवार, 19 दिसंबर को अगहन मास की पूर्णिमा है। शनिवार को दत्त जयंती है और रविवार को स्नान दान की पूर्णिमा है। हर माह पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा ने बताया कि पूर्णिमा पर खासतौर पर भगवान विष्णु और उनके अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। भगवान सत्यनारायण भी विष्णु जी का ही एक स्वरूप है। सत्यनारायण भगवान को श्वेत वर्ण माना गया है यानी वे एकदम सफेद दिखाई देते हैं। इस कथा का संदेश ये है कि हमें हर परिस्थिति में सच ही बोलना चाहिए और कभी भी भगवान के प्रसाद का अनादर नहीं करना चाहिए।
सत्यनारायण भगवान की कथा से जुड़ी खास बातें
-भगवान सत्यनारायण की कथा स्कंद पुराण के रेवाखंड में बताई गई है। ये कथा मूलरूप से संस्कृत भाषा के करीब 170 श्लोक में है।
-इस कथा पांच अध्याय हैं। इसके दो मूल विषय हैं, पहला है संकल्प और सत्यता और दूसरा है भगवान का प्रसाद। अपना संकल्प कभी न भूलें, हमेशा सच बोलें और कभी भी भगवान का प्रसाद का अपमान न करें।
-सत्यनारायण कथा में छोटी-छोटी कहानियां बताई गई हैं। इन कहानियों के माध्यम से बताया गया है कि सत्य का पालन न करने पर किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। झूठ बोलने पर भगवान भी भक्त का साथ नहीं देते हैं।
-सत्यनारायण पूजा में केले के पत्ते और फलों का विशेष महत्व है। इनके साथ ही पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा भी रखी जाती है।
-पूजा में दूध, शहद, केला, गंगाजल, तुलसी, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है। प्रसाद के रूप में हलवा चढ़ाया जाता है। इस कथा का पाठ किसी ब्राह्मण की मदद से विधि-विधान से करवाना ज्यादा अच्छा रहता है।
