वैदिक काल से भगवान सूर्य की उपासना का उल्लेख मिलता है। सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा और ईश्वर का नेत्र बताया गया है। सूर्य को जीवन, स्वास्थ्य एवं शक्ति के देवता के रूप में मान्यता हैं। भगवान सूर्य के लिए रविवार का दिन सुनिश्चित है। भगवान सूर्य की आराधना अलग-अलग तरीके से लोग करते है। कोई सूर्य को जल चढ़ाकर आराधना करता है तो कोई रविवार को व्रत करके पूजा करता है।

जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए रविवार का व्रत सर्वश्रेष्ठ है। अगर आप नौकरी करते हैं या कोई व्‍यवसाय, किसी में आपको सफलता नहीं मिल रही है, चाहे उसके लिए आप कितनी भी मेहनत कर लो। ऐसे में अगर कोई सूर्य की उपासना करे तो उसके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं।

सूर्य को ब्रह्माण्ड की आत्मा कहा जाता है। ज्‍यादातर लोग हर दिन की विशेष पूजाएं करते हैं। कई लोग रविवार को छुट्टी का दिन मानते हैं लेकिन इस दिन कई लोग पूजा अर्चना और व्रत रखकर अपना दिन लाभकारी बनाते हैं। ऐसे ही लोगों के लिए आज हम विशेष रविवार की व्रत विधान बता रहे हैं।

सूर्य देव की पूजा

यह उपवास सप्ताह के प्रथम दिवस इतवार व्रत कथा को रखा जाता है। और सूर्य की उपासना रविवार को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त करने की मान्यता है।

रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। मान-सम्मान, धन-यश तथा उत्तम स्वास्थ्य मिलता है। कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।

प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त हो, स्वच्छ वस्त्र धारण कर परमात्मा का स्मरण करें। एक समय भोजन करें। भोजन इत्यादि सूर्य प्रकाश रहते ही करें।

अत में कथा सुनें इस दिन नमकीन तेल युक्त भोजन ना करें। इस दिन उपासक को तेल से निर्मित नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। सूर्य अस्त होने के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।

जल चढ़ाने का महत्व

पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भगवान सूर्य के अर्घ्यदान का विशेष महत्व बताया गया है। रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा के साथ जल चढ़ाने को काफी शुभ माना गया है। अगर आप ऐसा प्रतिदिन ऐसा करते हैं तो भगवान की कृपा आपके ऊपर बरसती है। इसके साथ ही माना जाता है कि जल अर्पित करने से सभी परेशानियां तो दूर होती ही हैं साथ-साथ आर्थिक वृद्धि होनी शुरू हो जाती है। अगर किसी भक्त से सूर्यदेव प्रसन्न हो जाते हैं तो उसके घर की तिजौरी कभी खाली नहीं रहती।

 

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