आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी इसे योगिनी एकादशी कहते हैं। इस दिन उपवास रखने से समस्त पापों का नाश होता है, तथा स्वास्थ के साथ सुख-समृद्धि आती है। योगिनी एकादशी 5 जुलाई, 2021, सोमवार को है। इस व्रत के बारे में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था।

इस व्रत से जुड़ी कथा और पूजा के जरूरी विधान

पौराणिक कथा
व्रत को लेकर पौराणिक कथा है कि अलकापुरी का राजा कुबेर शिव-भक्त था। हेममाली नामक एक यक्ष उनका सेवक था, जो कुबेर की शिव पूजा के लिए फूल लाता था। हेममाली एक बार पत्नी प्रेम में पूजा के लिए पुष्प लाने से चूक गया। इससे नाराज होकर कुबेर ने माली को श्राप दिया कि वह स्त्री के वियोग में तड़पे और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ रोग का रोगी बने। कुबेर के श्राप से वह कोढ़ नामक त्वचा रोग से ग्रस्त हो गया और पत्नी भी उससे बिछड़ गई।

एक बार मार्कण्डेय ऋषि से उसकी भेंट हुई। ऋषि ने उसे आषाढ़ माह के कृष्णपक्ष की एकादशी के व्रत से उसके सभी कष्ट दूर होने की बात कही। महर्षि के वचन सुन हेममाली ने एकादशी का विधानपूर्वक व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से वह अपने पुराने स्वरूप में आ गया उसका रोग भी दूर हो गया और वह अपनी पत्नी के साथ पुन: सुखपूर्वक रहने लगा।

एकादशी पर पूजा के विधान
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
पूजा घर को साफ स्वच्छ कर भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
इस दिन व्रत रखकर सिर्फ फलाहार ही करें। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
भगवान की आरती करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक दान- ध्यान करें।

 

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