फाल्गुन में महीने में भगवान सूर्य की विशेष पूजा की परंपरा भी है। उत्तरायण और वसंत ऋतु होने से फाल्गुन महीने में सूर्य की पूजा बहुत ही खास मानी गई है। इस समय सूर्य देवताओं के अधिपति होते हैं और अब सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में भी प्रवेश कर चुका है। इस महीने में धरती के करीब होने से सूर्य का प्रभाव और भी बढ़ जाता है। इस दौरान पूषा नाम के सूर्य देवता अपनी किरणों से धरती पर पेड़-पौधों और इंसानों का पोषण करते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा मन्वादि तिथि होने के कारण इस दिन सूर्य को दिए गए अर्घ्य से पितरों को भी संतुष्टि मिलती है।

रविवार और फाल्गुन पूर्णिमा का संयोग

इस बार फाल्गुन का आखिरी दिन यानी पूर्णिमा तिथि रविवार को आ रही है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा आमने-सामने रहते हैं। यानी आपस में समसप्तक योग बनाते हैं। इस बार चंद्रमा सूर्य के नक्षत्र में रहेगा। साथ ही इस दिन रवियोग भी बन रहा है। इसलिए इस शुभ संयोग में भगवान सूर्य की पूजा करने से जीवनी शक्ति और रोगों से लड़ने की बढ़ेगी।

वसंतोत्सव पर सूर्य

वसंतोत्सव यानी होली पर सूर्य की किरणों से सृजन होता है। इस समय सूर्य की किरणों के प्रभाव से शरीर में नए कोशिकाएं भी बनती हैं। इस समय सूर्य की किरणें पोषण देने वाली होती हैं। जिनसे पेड़-पौधों को पोषण मिलता है। इस समय सूर्य की किरणों से शिशिर ऋतु में बने कफ का नाश होता है। वसंत के सूर्य की किरणों से शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बनता है।

सूर्य पूजा के फायदे

मेडिकल साइंस में बताया गया है कि सूर्य की किरणों से मानसिक तनाव दूर होता है। इससे डिप्रेशन से बाहर निकलने में मदद मिलती है। सूर्य की रोशनी में खड़े होने से विटामिन डी की कमी दूर होती है। सूर्य की रोशनी से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। उगते हुए सूरज को लगातार देखने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। उगते हुए सूरज की रोशनी के शरीर पर पड़ने से ऊर्जा मिलती है।

 

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