षट्तिला एकादशी 28 जनवरी, शुक्रवार है। इस दिन खासतौर से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। शातातप स्मृति ग्रंथ के अनुसार, इस दिन तिल का प्रयोग 6 कामों में करने का विधान है। ये 6 काम और इनका महत्व इस प्रकार है

तिलस्नायी तिलोद्वार्ती तिलहोमी तिलोद्की। तिलभुक् तिलदाता च षट्तिला: पापनाशना:।।

अर्थ: इस दिन तिल मिले जल से नहाना, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिल मिला हुआ पानी पीना, तिल का भोजन और तिल का दान करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। क्योंकि तिल देवताओं का प्रिय अन्न है। ग्रंथों में भी बताया गया है कि तिल की उत्पत्ति ब्रह्मा ने की है। इसलिए तिल के इस्तेमाल से शारीरिक परेशानियां भी दूर होने लगती है।

1. तिल मिले हुए जल से स्नान
ठंड के मौसम में त्वचा रूखी हो जाती है। तिले मिले पानी से स्नान करने से त्वचा चमकदार और कोमल हो जाती है। इसके धार्मिक महत्व के अनुसार ऐसा करने से पाप खत्म हो जाते हैं।

2. तिल का उबटन
तिल का उबटन लगाने से त्वचा संबंधी रोग दूर हो जाते हैं। भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।

3. तिल मिला जल पीना
तिल मिला पानी पीने से पाचन तंत्र ठीक रहता है और अनिद्रा में भी राहत मिलती है। तिल मिला जल पीने से अच्छी बुद्धि मिलती है जिससे धर्म-कर्म में मन लगता है।

4. तिल का भोजन
ठंड में तिल से बनी चीजें खाने से शरीर को पर्याप्त गर्मी व ऊर्जा मिलती है। पाप नाश होने के साथ ही मोक्ष प्राप्ति होती है।

5. तिल का दान
धर्म ग्रंथों के अनुसार, तिल का दान करने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।

6. तिल से हवन
तिल से हवन करने पर वायुमंडल सुगंधित होता है और बैक्टीरिया नष्ट होते हैं। भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और समृद्धि मिलती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *