हिंदू कैलेंडर का दूसरा महीना यानी वैशाख मास 28 अप्रैल से शुरू हो गया है। जो कि 26 मई तक रहेगा। ग्रंथों में इसे पुण्य देने वाला महीना कहा गया है। महाभारत, स्कंद और पद्म पुराण के साथ ही निर्णय सिंधु ग्रंथ में वैशाख महीने का महत्व बताया गया है। इनके मुताबिक ये भगवान विष्णु का पसंदीदा महीना है। इसमें सुबह सूर्योदय से पहले नहाने का महत्व बताया है। साथ ही इस महीने में तीर्थ या गंगा स्नान करने से हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं। महामारी के दौर के चलते ऐसा करना ठीक नहीं है। इसलिए घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से इसका पुण्य मिल सकता है।

महाभारत: एक समय खाना खाने से खत्म होते हैं पाप
महाभारत के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि वैशाख महीने में एक समय खाना खाना चाहिए। ऐसा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। ऐसा करना सेहत के नजरिये से भी फायदेमंद होता है। इन दिनों मौसम में गर्मी बढ़ जाती है। इस कारण ज्यादा खाना नहीं खा जाता। इन दिनों में कम खाना खाने से आलस्य नहीं बढ़ता। इस कारण मन में बुरे विचार नहीं आते और इंसान पाप कर्म करने से बच जाता है।

  1. पूजा विधि
    इस महीने में सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए।
    तीर्थ स्नान नहीं कर सकते तो घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं।
    हर दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
    भगवान विष्णु को तुलसी पत्र और पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं।
    इसके बाद ही दूध या अन्न लेना चाहिए।
    हर दिन जल या थोड़े से अन्न का दान करना चाहिए।

महर्षि नारद के अनुसार वैशाख माह का महत्व
नारद जी के अनुसार ब्रह्मा जी ने इस महीने को अन्य सभी महीनों में सबसे श्रेष्ठ बताया है। उन्होंने इस महीने को सभी जीवों को मनचाही फल देने वाला बताया है। नारद जी के अनुसार ये महीना धर्म, यज्ञ, क्रिया और तपस्या का सार है और देवताओं द्वारा पूजित भी है। उन्होंने वैशाख माह का महत्व बताते हुए कहा है कि जिस तरह विद्याओं में वेद, मन्त्रों में प्रणव अक्षर यानी ऊं, पेड-पौधों में कल्पवृक्ष, कामधेनु, देवताओं में विष्णु, नदियों में गंगा, तेजों में सूर्य, शस्त्रों में चक्र, धातुओं में सोना और रत्नों में कौस्तुभमणि है। उसी तरह अन्य महीनों में वैशाख मास सबसे उत्तम है। इस महीने तीर्थ स्नान और दान से जाने-अनजाने में किए गए पाप खत्म हो जाते हैं।

 

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