आज अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे पापाकुंशा एकादशी कहते है। इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास करने की परंपरा है। शनिवार को एकादशी होने से इस तिथि शनिदेव के लिए भी विशेष पूजा-पाठ करना चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस तिथि पर भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करना चाहिए। अभिषेक के बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं। वस्त्र, इत्र, फूल आदि चीजें अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगे। पूजा के बाद अन्य भक्तों को प्रसाद बांटें।
शनिवार को शनिदेव के लिए तेल का दान किसी मंदिर में या किसी जरूरतमंद व्यक्ति को करें। शनिदेव के मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का जाप कम से कम 108 बार करें। शनिवार को जूते-चप्पल का भी दान किया जा सकता है।
एकादशी पर किसी गौशाला में धन, हरी घास और अनाज का दान जरूर करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो सुंदरकांड का पाठ भी कर सकते हैं।
एकादशी के बाद बुधवार, 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। इस तिथि पर अश्विन मास खत्म हो जाएगा। शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी के लिए विशेष पूजा-पाठ की जाती है। मान्यता है कि इस तिथि पर देवी लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं और जो लोग देवी को धर्म के अनुसार कर्म करते हुए दिखाई देते हैं, उन पर देवी कृपा करती हैं। शरद पूर्णिमा के बाद अगले दिन से यानी 21 अक्टूबर से कार्तिक मास शुरू हो जाएगा।