सोमवार, 1 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसे रमा एकादशी कहा जाता है। दीपावली से पहले आने वाली इस एकादशी का महत्व काफी अधिक है। इस तिथि से काफी लोग अपने-अपने घर के बाहर दीपक जलाना शुरू कर देते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस तिथि पर विष्णु जी के लिए व्रत-उपवास किया जाता है। सोमवार को एकादशी होने से इस दिन विष्णु जी और लक्ष्मी जी के साथ ही शिव जी की भी विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए।
एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। इस दौरान सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर के मंदिर में भगवान के सामने एकादशी पर व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। व्रत करने वाले भक्त फलाहार और दूध का सेवन कर सकते हैं, लेकिन अन्न का त्याग करना चाहिए। एकादशी में व्रत के साथ ही विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक जरूर करें।
दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए दूध अर्पित करें। इसके बाद शुद्ध जल चढ़ाएं। हार-फूल और वस्त्र आदि चीजें चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के क्षमा याचना करें। पूजा के बाद प्रसाद वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
एकादशी और सोमवार के योग में शिव जी की भी विशेष पूजा करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और चांदी के लोटे से दूध अर्पित करें। इसके बाद फिर से जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। शिवलिंग पर धतूरा, बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। चंदन का तिलक करें। मिठाई का भोग लगाएं और धूप-दीप जलाएं। शिवलिंग के सामने बैठकर शिव जी के मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। पूजा के अंत में क्षमा याचना करें। प्रसाद बांटें और खुद भी लें।