माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी शनिवार, 12 फरवरी को है। इसे जया एकादशी कहा जाता है। एकादशी और शनिवार का योग होने से इस दिन विष्णु जी के साथ ही शनि देव के लिए भी विशेष पूजा-पाठ जरूर करें।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जया एकादशी पर किए गए व्रत-उपासना से सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं और भगवान की कृपा से जीवन में सुख-शांति आती है। इस एकादशी पर विष्णु जी की पूजा में तिल का उपयोग जरूर करें।

कैसे कर सकते हैं एकादशी व्रत और पूजा

जया एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। इसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु के सामने व्रत और पूजा करने का संकल्प लें।

विष्णु पूजन में सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र, हार-फूल अर्पित करें। तिलक लगाएं। दूर्वा चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। इसके बाद विष्णु जी की पूजा शुरू करें।

विष्णु जी और महालक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित करें। जल चढ़ाएं। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान का अभिषेक करें। इसके बाद फिर से जल अर्पित करें। भगवान को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल पहनाएं। तिलक लगाएं। इत्र और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं।

तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में भगवान से पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगे। इसके बाद घर के लोगों को प्रसाद वितरीत करें और खुद भी ग्रहण करें।

शनिवार को शनि देव के लिए भी विशेष पूजा जरूर करें। शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का जाप करें। तिल के तेल का दीपक जलाएं। काले तिल अर्पित करें। जरूरतमंद लोगों को काले तिल और तेल दान करें। काले कंबल का दान करें।

 

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