रविवार, 8 अगस्त को सावन माह की अमावस्या है। इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है। इस दिन सावन माह का एक पक्ष पूरा हो जाएगा। 9 अगस्त से शुक्ल पक्ष शुरू होगा। रविवार को सर्वार्थ सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र योग रहेगा। इस वजह से ये दिन और अधिक खास बन गया है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने और तीर्थ यात्रा करने की परंपरा है। सावन माह में बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का विशेष महत्व है। अभी कोरोना की वजह से इन मंदिरों में दर्शन करने नहीं जा पा रहे हैं तो अपने क्षेत्र के किसी भी मंदिर में शिव जी का पूजन कर सकते हैं। इस दौरान बारह ज्योतिर्लिंग का ध्यान करना चाहिए। भगवान को बिल्व पत्र और जल जरूर चढ़ाएं।

अमावस्या पर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर ही सभी पवित्र नदियों का ध्यान करें। पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसा करने से भी घर पर ही तीर्थ स्नान का फल मिल सकता है। स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को अपनी शक्ति के अनुसार धन और अनाज का दान करें। किसी गौशाला में हरी घास और धन का दान करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें।

सावन माह की अमावस्या पर शिवजी के साथ ही देवी पार्वती का पूजन अवश्य करें। पूजा में ऊँ उमामहेश्वराय नम: मंत्र का जाप करें। माता को सुहाग का सामान चढ़ाएं। शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करें। पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर बनाना चाहिए।

ये प्रकृति को कुछ देने का दिन है। इस दिन हरियाली बढ़ाने के लिए कम से कम एक पौधा किसी मंदिर में लगाएं। मंदिर में जैसे-जैसे पौधा बड़ा होगा, वैसे-वैसे आपको सकारात्मक फल मिल सकते हैं। छायादार वृक्ष का पौधा लगाएंगे तो मंदिर में आने वाले भक्तों को गर्मी के दिनों में राहत मिलेगी। किसी सार्वजनिक जगह पर पीपल, नीम, आंवला, बिल्व के पौधे लगा सकते हैं। साथ ही पौधे के वृक्ष बनने तक उसकी देखभाल करने का भी संकल्प जरूर लें।

 

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