सावन महीने में हर हफ्ते की शुरुआत भगवान शिव और देवी पार्वती से होती है। सावन का सोमवार जितना खास होता है उतना ही महत्व मंगलवार का भी है। पुराणों में बताया गया है कि सावन महीने के मंगलवार को देवी पार्वती की पूजा और व्रत करना चाहिए। इससे हर तरह की परेशानियां खत्म होती हैं और सुख-समृद्धि बढ़ती है। इस तरह सावन महीने में हर हफ्ते के शुरुआती 2 दिन भगवान शिव और पार्वती को समर्पित होते हैं।
शक्ति के बिना अधूरी शिव पूजा
पुरी के ज्योतिषाचार्य और धर्मग्रंथों के जानकार डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि सोमवार को शिव पूजा का दिन माना जाता है। इसलिए लोक परंपरा में सावन सोमवार को बहुत खास माना जाता है। लेकिन मंगलवार का भी महत्व उतना ही है जितना सोमवार का है। सोमवार को की गई शिव पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब मंगलवार को देवी पार्वती की पूजा की जाए। क्योंकि पुराणों में बताया गया है कि सावन महीने में देवी पार्वती के गौरी रूप की पूजा करनी चाहिए।
सावन मंगलवार की पूजा और व्रत
सावन महीने में सोमवार की तरह मंगलवार के दिन उपवास रहकर देवी पार्वती की गौरी रूप की
पूजा करने की परंपरा है। इसका जिक्र स्कंदपुराण और विष्णुधार्मोत्तर पुराण में किया गया है। इस दिन देवी पार्वती की पूजा कर के स्वर्णागौरी व्रत किया जाता है। जिससे दांपत्य सुख बढ़ता है और परेशानियां दूर होती हैं। इस दिन देवी दुर्गा और हनुमान जी के उपासक भी व्रत और विशेष पूजा करते हैं। पुराणों के मुताबिक ऐसा करने से देवी दुर्गा और हनुमान जी की विशेष कृपा मिलती है। इनकी पूजा करने से कर्ज नहीं होता और रुके हुए काम भी पूरे हो जाते हैं।
सावन में मंगला गौरी व्रत
सावन महीने के दौरान हर मंगलवार को देवी पार्वती की गौरी रूप में पूजा और व्रत करने का विधान है। मंगलवार और गौरी से मिलकर ही मंगला गौरी व्रत बना है। ये व्रत हर तरह का मंगल करता है इसलिए भी ये नाम पड़ा। मंगला गौरी व्रत कुंवारी कन्याएं अच्छे पति को पाने के लिए करती हैं। शादीशुदा महिलाएं दांपत्य सुख और समृद्धि की इच्छा से ये व्रत करती हैं। मंगला गौरी व्रत के दिन तृतीया तिथि यानी तीज का संयोग होने से इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।