शक्ति उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर को शुरू होगा। आश्विन महीने के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक देवी के नौ रूपों की उपासना की जाएगी। लेकिन इस बार चतुर्थी तिथि का क्षय होने से नवरात्रि 8 दिन की ही रहेगी।

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र ने बताया कि प्रतिपदा तिथि में घट स्थापना के साथ ही देवी के नवरात्र पूजन और अनुष्ठान शुरू होंगे। माना जाता है कि कलश स्थापना से मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और घर को खुशियों, धन-धान्य व सुख-समृद्धि से भर देती हैं।

अभिजित मुहूर्त में घट स्थापना
शास्त्रों के अनुसार कलश सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक होता है। प्रतिपदा पर रात 9:12 तक चित्रा नक्षत्र और रात 1:38 बजे तक वैधृति योग रहेगा। इन दोनों के शुरुआती दो चरणों के अलावा घट स्थापना की जा सकती है। चित्रा नक्षत्र के दो चरण सुबह 10:16 और वैधृति योग के दोपहर 3:17 पर समाप्त हो रहे हैं। इसके चलते घट स्थापना के लिए अभिजीत मूहूर्त सुबह 11:59 से 12:46 बजे तक श्रेष्ठ रहेगा। महाष्टमी 13 अक्टूबर और महानवमी 14 अक्टूबर को है, जबकि 15 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।

चतुर्थी तिथि का क्षय: तृतीया 9 अक्टूबर को सुबह 7:49 बजे तक रहेगी, जबकि चतुर्थी 10 सुबह 4:55 बजे तक रहेगी। उदय काल में चतुर्थी नहीं होने से तिथि का क्षय होगा।

साल में होते हैं 4 नवरात्र
देवी पुराण के अनुसार नौ शक्तियों के मिलन को नवरात्रि कहा जाता है, जो हर साल चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ में आती है। वसंत ऋतु में इसे चैत्र या वासंती नवरात्रि कहा जाता है, जबकि शरद ऋतु व आश्विन मास में आने वाली नवरात्रि शारदीय कही जाती है। शेष दो यानि गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ में आते हैं। इनमें मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *