श्रावण महीना भगवान शिव को अतिप्रिय है। इस महीने में व्रत, पूजा, जागरण और रुद्राभिषेक का विधान है। स्कंदपुराण में कहा गया है कि सावन महीने में भगवान शिव का पूजन, जागरण और उपवास करने वाले का पुनर्जन्म नहीं हो सकता यानी ऐसे इंसान को मोक्ष प्राप्ति होती है। भगवान ब्रह्मा के पुत्र सनत्कुमार के पूछने पर शिवजी ने बताया कि सावन महीने में व्रत करने से महान पुण्य मिलता है। शिवपुराण में मोक्ष के चार रास्ते बताए हैं। इन चारों में सावन का खास महत्व है। इसलिए सावन में शिव पूजा जरूर करनी चाहिए।

विकारों से मुक्त करते हैं भगवान शिव

भगवान शिव हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सरादि विकारों से मुक्त करके परम सुख, शांति, ऐश्वर्य आदि प्रदान करते हैं। सावन महीना शिव पूजा के लिए विख्यात है। सावन महीने के दौरान की गई शिव पूजा से हर तरह के पाप, दोष और रोग खत्म हो जाते हैं। इस दौरान की गई शिव आराधना से उम्र बढ़ती है और शिवलोक मिलता है। शास्त्रोक्त विधि से जो सावन महीने में व्रत, पूजा, जागरण सहित उपवास करने से मोक्ष प्राप्ति होती है। सावन में की गई शिव पूजा से पाप और डर खत्म होता है।

वेद स्वरूप हैं शिव

शिव का अर्थ वेद होता है। कहा भी गया है कि वेद: शिव: शिवो वेद: यानी वेद शिव हैं और शिव वेद हैं। इसलिए माना जाता है कि शिव वेदस्वरूप हैं। इसलिए सावन का महीना दान, योग, वेदाध्ययन और आध्यात्मिक चिंतन शुरू करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। जितने भी शुभ काम हैं; वे सभी सावन महीने में उत्तम माने गए हैं। परोपकार, दयालुता एवं लोककल्याण के काम भी इस महीने में शुभ फल देने वाले माने गए हैं।

पूजन विधि

शिवपुराण के मुताबिक व्रत करने वाले को सूरज उगने से पहले उठकर स्नान-संध्या करनी चााहिए। मस्तक पर भस्म का त्रिपुंड तिलक लगाकर और गले में रुद्राक्ष माला धारण कर शिवालय में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं शिव को नमस्कार करना चाहिए। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र को पढ़ते हुए हाथ में फूल, अक्षत को जल लेकर शिवलिंग पर छोड़ देना चाहिए।

पूजा का मंत्र:

शिवपूजाव्रतं ह्येतत् करिष्येSहं महाफलम्।

निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते।।

 

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