मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी बुधवार को विवाह पंचमी का पर्व हैं। इस साल ये पर्व बुधवार 8 दिसंबर को है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन का विशेष महत्व है। प्रथा है कि इस दिन पुरुषोत्तम श्रीराम का विवाह माता सीता से हुआ था। हर साल इस दिन को भगवान राम और मां सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सीता-राम के मंदिरों में विशाल आयोजन होते हैं। भक्त पूजा, यज्ञ और अनुष्ठान करते हैं। कई स्थानों पर श्री रामचरितमानस का पाठ भी किया जाता है।

रामचरित मानस पाठ का है विशेष महत्व : मार्गशीर्ष की पंचमी तिथि को ही तुलसीदास जी ने रामचरितमानस पूर्ण की थी, साथ ही रामजी और सीता जी का विवाह भी इसी दिन हुआ था। इसलिए विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि यदि इस दिन रामचरितमानस का पाठ किया जाए तो घर में सुख-शांति आती है।

पूजन की विधि
इस दिन भक्तजन भगवान राम और माता सीता की पूजा करते हैं। नेपाल जैसे राज्यों में विवाह पंचमी पर वि शेष पूजा आयोजित की जाती है।
1. विवाह पंचमी पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करके नए कपड़े पहनकर पूजा की चौकी तैयार करें।
2. चौकी पर एक कपड़ा बिछाकर पूजा सामग्री रखें।
3. राम और सीता की मूर्तियां स्थापित कर उन्हें दूल्हे और दुल्हन की तरह तैयार करें।
4. फल, फूल व अन्य पूजा सामग्री के साथ दोनों देवताओं की पूजा आराधना करें।
5. जो भक्त घर में पूजा नहीं करना चाहते हैं वे मंदिर में जाकर भी कर सकते हैं।

भगवान राम और माता सीता की विशेष पूजा का दिन
जिन लोगों के विवाह में बाधाएं आ रही हो या फिर विलंब हो रहा हो उन्हें विवाह पंचमी के दिन व्रत रखना चाहिए और विधि-विधान के साथ भगवान राम और माता सीता का पूजन करना चाहिए। इसी के साथ प्रभु श्री राम और माता सीता का विवाह संपन्न करवाना चाहिए। पूजन के दौरान अपने मन में मनोकामना कहनी चाहिए। मान्यता है कि इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं साथ ही सुयोग्य जीवन साथी की प्राप्ति होती है और विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती है।

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