आज आषाढ़ महीने की हलहारिणी अमावस्या है। इस तिथि की शुरुआत सूर्योदय से पहले ही हो गई है। जो कि कल सुबह तकरीबन 7 बजे तक रहेगी। इसलिए 10 जुलाई को शनैश्चरी अमावस्या पर्व मनाया जाएगा। इसके अगले दिन यानी 11 को रविवार और पुष्य नक्षत्र होने से रविपुष्य महायोग बनेगा। इस शुभ संयोग में गुप्त नवरात्र भी शुरू हो रहे हैं। इस दिन सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग भी रहेंगे। जिससे खरीदारी, लेन-देन और निवेश के लिए पूरा दिन शुभ रहेगा।

हलहारिणी अमावस्या: 9 जुलाई, शुक्रवार
इस पर्व में पेड़-पौधे लगाए जाते हैं लेकिन खेतों की जुताई और बुआई नहीं की जाती है। वहीं, बैलों से भी काम नहीं लिया जाता और उन्हें चरने के लिए पूरे दिल खुले में छोड़ दिया जाता है। साथ ही पूरे साल अच्छी फसल हो और परिवार में सुख-समृद्धि बढ़े।0 इसके लिए हल और खेती के औजारों की पूजा की जाती है।

शनैश्चरी अमावस्या: 10 जुलाई, शनिवार
शनिवार को सूर्योदय के वक्त अमावस्या तिथि होने से शनैश्चरी अमावस्या पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व पर तीर्थ स्नान और दान करने की परंपरा है। इस दिन पवित्र नदियों के जल से नहाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही इस शुभ संयोग किए गए दान का कई गुना पुण्य मिलता है। शनि दोष दूर करने के लिए इस दिन पीपल और शनिदेव की विशेष पूजा भी की जाती है।

रविपुष्य महायोग: 11 जुलाई, रविवार
रविवार को पुष्य नक्षत्र सूर्योदय से शुरू होगा और पूरे दिन रहेगा। इससे रविपुष्य महायोग बन रहा है। इस शुभ संयोग में खरीदारी, लेन-देन और निवेश से फायदा होता है। इस दिन सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि शुभ योग बनने से नए कामों की शुरुआत के लिए भी ये बहुत अच्छा मुहूर्त है।

गुप्त नवरात्र: 11 जुलाई, रविवार
11 जुलाई को सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि और रविपुष्य महायोग में गुप्त नवरात्र की शुरुआत होगी। इस बार नवरात्र में षष्ठी यानी छठी तिथि का क्षय हो रहा है। जिससे ये 8 दिन के ही रहेंगे। 18 जुलाई को भड़ली नवमी पर नवरात्र का आखिरी दिन रहेगा। इस तरह नवरात्र के पहले और आखिरी दिन शुभ संयोग बनना अपने आप में दुर्लभ स्थिति है। अब तकरीबन 3 महीने बाद यानी अक्टूबर में प्रत्यक्ष नवरात्र आएंगे।

 

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