30 दिसंबर को गुरुवार और एकादशी तिथि का संयोग बनेगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का बहुत महत्व रहेगा। अभी पौष महीना चल रहा है और ये पौष की पहली एकादशी भी रहेगी। शास्त्रों में साल के सभी 24 एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित हैं। लेकिन सफला एकादशी का व्रत रखने पर साधक के सभी प्रयास सफल और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
व्रत तिथि और पारण मुहूर्त
एकादशी तिथि 29 दिसंबर को दोपहर 04.12 से प्रारंभ होगी, 30 दिसंबर को दोपहर 01.40 पर खत्म होगी। व्रत का पारण 31 दिसंबर को करना चाहिए।
दुख और दुर्भाग्य से मुक्ति देने वाला व्रत
मान्यता है कि सभी प्रकार के दुखों और दुर्भाग्य से मुक्ति दिलाने वाले सफला एकादशी का व्रत महाभारत काल में युधिष्ठिर ने भी किया था। अत: विधि-विधान और श्रद्धा, विश्वास के साथ एकादशी व्रत व पूजा-पाठ करने पर भगवान विष्णु शीघ्र ही अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
पूजन विधि व नियम
1. सफला एकादशी के व्रत को सफल बनाने के लिए ऐसे करें पूजा।
2. व्रत की पूजा करने से पहले गंगा जल मिले जल से स्नान करें।
3. पीले कपड़े पहनकर भगवान विष्णु को गाय के दूध से, फिर शंख में गंगाजल भर कर स्नान कराएं।
4. भगवान विष्णु को पीले कपड़े पहनाएं और धूप, दीप से पूजा करें।
5. पूजा में पीले फूल, फल और पीले चंदन से उनका शृंगार करें उन्हें तुलसी मिला पंचामृत जरूर अर्पित करें।
पूजा करते हुए इन मंत्रों का जाप करें
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः
ॐ नमो नारायणाय
व्रत की कथा
मान्यता है कि प्राचीनकाल में चंपावती नगरी के राजा महिष्मान का सबसे बड़ा पुत्र लुंपक बहुत ही दुष्ट व अधार्मिक था। इस कारण पिता ने उसे राज्य से निकाल दिया था। जंगलों में भटकते हुए लुंपक, पशु मांस व फल आदि खाकर जीवित रहा। मान्यता है कि पौष माह के कृष्णपक्ष की सफला एकादशी पर लुंपक ने कुछ फल इकट्ठे कर पीपल के वृक्ष के नीचे अनजाने में ही कहा कि इन फलों से भगवान विष्णु संतुष्ट हों। इस तरह अनजाने में ही दुराचारी लुंपक से भगवान की कृपा दिलाने वाली सफला एकादशी व्रत संपन्न हुआ और उसे राज्य, धन, संपत्ति, समेत सभी सुख मिले। अत: मान्यता है कि पूर्ण मनोयोग से व्रत करें तो साधक की समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं।