सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है। इस बारे में शिव महापुराण में कहा गया है कि श्रावण मास का हर दिन पर्व होता है। इस दौरान की गई शिव पूजा का विशेष फल मिलता है। जिससे हर तरह के दोष, रोग और परेशानियों से छुटकारा मिलने लगता है। इसलिए सावन महीने में शिव आराधना के लिए मंदिरों में भीड़ होने लगती है। लेकिन महामारी के संक्रमण से बचने के लिए घर पर ही शिव पूजा करनी चाहिए। इस बारे में विद्वानों का भी कहना है कि घर पर ही शिवलिंग पर जल चढ़ाकर आराधना करने से पूजा का पूरा फल मिलता है।

घर पर ही कर सकते हैं शिवजी की पूजा

धर्म ग्रंथों के जानकार पुरी के डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि महामारी के संक्रमण से बचने के लिए मंदिर जाना संभव न हो तो घर पर ही शिवलिंग का अभिषेक और पूजन किया जा सकता है। जिसके घर पर शिवलिंग न हो, वो आंगन में मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसका पूजन कर सकते हैं।

काशी विद्वत परिषद बनारस के मंत्री, डॉ. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजन करने को ही पार्थिव शिवपूजन भी कहा जाता है। इसके अलावा नर्मदा नदी के किसी पत्थर को भी शिव रूप मानकर पूजा की जा सकती है। इस तरह शिव आराधना करने से भी पूजा का पूरा पुण्य फल मिलता है। बस ये सावधानी रखनी होगी कि पूरे सावन में एक ही शिवलिंग की पूजा हो और महीना बीत जाने के बाद पवित्र नदी में शिवलिंग प्रवाहित किया जाए।

सावन में शिव पूजा के खास दिन

सावन में भगवान शिव की विशेष पूजा के लिए 8 दिन खास हैं। इनमें 26 जुलाई को पहला सावन सोमवार बीत जाने के बाद अब 2 अगस्त को दूसरा सोमवार आएगा। फिर 5 को गुरु प्रदोष, 6 को श्रावण शिवरात्रि, 9 को तीसरा सोमवार 16 को चौथा और सावन का आखिरी सोमवार रहेगा। इसके बाद 21 को शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव की विशेष पूजा का भी विधान बताया गया है। इनके अलावा अगस्त महीने में 8 को हरियाली अमावस्या, 11 को हरियाली तीज और 22 को सावन महीने के आखिरी दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की भी परंपरा है।

घर पर ही आसान तरीके से हो सकती है पूजा

-सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद हाथ में जल लेकर शिव पूजा का संकल्प लें।

-इसके बाद ऊँ नम: शिवाय मंत्र बोलते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और पंचामृत से अभिषेक करें। इनके साथ ही जो भी चीजें उपलब्ध हो शिवलिंग पर चढ़ाएं।

-शिवजी को चंदन, चावल, फूल, बिल्वपत्र, धतूरा चढ़ाएं। धूप और दीप जलाएं। इसके बाद फल, मिठाई, दूध या जो भी उपलब्ध हो उसका नैवैद्य लगाएं।

-इसके बाद कर्पूर जलाकर आरती करें। फिर शिवजी का ध्यान करते हुए आधी परिक्रमा करें और प्रसाद बांट दें।

 

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