आज हरियाली तीज है। इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है। क्योंकि ये सावन महीने के शुक्लपक्ष में आती है। सुहागन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए बहुत ही खास त्योहार होता है। इस दिन सौलह श्रंगार कर के भगवान शिव-पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही निर्जला यानी बिना पानी पिए व्रत रखा जाता है और अगले दिन व्रत खोला जाता है।

पौराणिक मान्यता: पार्वती जी ने की थी तपस्या
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। पार्वती का कठोर तप देखकर भोलेनाथ प्रसन्न हुए। कहा जाता है कि हरियाली तीज के दिन ही शिव जी ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। अत: यही वजह है कि इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अंखड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है।

तीज का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक, ये व्रत सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यानी 10 अगस्त की शाम तकरीबन 6 बजकर 11 मिनट से शुरू होगा और 11 अगस्त की शाम 4 बजकर 56 मिनट पर खत्म होगा। इसलिए भगवान शिव-पार्वती की पूजा और व्रत बुधवार, 11 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर व्रत और पूजा का संकल्प लेंगी। मेहंदी लगाने और झूला झूलने की परंपरा भी इसी दिन पूरी की जाएगी।

झूला झुलाने की परंपरा
हरियाली तीज पर सुहागिनें हरे रंग को प्राथमिकता देती हैं। यह प्रकृति की समृद्धि और समृद्ध जीवन का प्रतीक रंग है। वे हरे रंग की चूड़ियां और हरे रंग के कपड़े पहनती हैं। इस दौरान महिलाएं सोलह शृंगार कर हाथों में मेहंदी लगाती हैं। नवविवाहित वधू यह पर्व मायके में मनाती हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की मंगल कामना करती हैं। हरियाली तीज के मौके पर खासतौर से पूजा-पाठ के बाद महिलाएं एक-दूसरे को झूला झुलाती हैं। इस दौरान सावन के गीत भी गाए जाते हैं।

पूजा की 5 मूल बातें

  1. सुबह उठकर स्नान-ध्यान करें। स्वच्छ होकर पूजा का संकल्प लें।
  2. पूजा स्थल के पास साफ-सफाई कर साफ मिट्टी से भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति बनाएं।
  3. पूजा स्थल पर लाल कपड़े के आसन पर बैठें।
  4. पूजा की थाली में सुहाग की सभी चीजों को रखकर विधि-विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित करें।
  5. पूजा के क्रम में तीज कथा और आरती की जाती है।

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