चैत्र महीने का शुक्लपक्ष 13 अप्रैल से शुरू हो गया है। जो कि 27 अप्रैल तक रहेगा। इसके बाद वैशाख महीने की शुरुआत हो जाएगी। व्रत और पर्व के लिहाज से चैत्र महीने का शुक्लपक्ष बहुत ही खास होता है। इन 15 दिनों में कई तीज-त्योहार रहते हैं। जिनमें प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्र होते हैं। इनमें नौवें दिन भगवान राम का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है। इसके बाद एकादशी, भगवान महावीर और हनुमान जयंती मनाई जाती है। ग्रंथों में शुक्लपक्ष की हर तिथि पर विशेष पूजा का विधान भी बताया गया है।
चैत्र शुक्लपक्ष के त्यौहार (13 से 27 अप्रैल तक)
-चैत्र शुक्लपक्ष की प्रतिपदा पर हिंदू नववर्ष मनाया जाता है।
-द्वितीया तिथि पर चंद्रमा की विशेष पूजा और दर्शन किया जाता है।
-शुक्लपक्ष की तृतीया को भगवान शिव-पार्वती और अग्नि की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि पर मत्स्य जयन्ती मनानी चाहिए, क्योंकि यह मन्वादि तिथि है।
-चतुर्थी को गणेशजी की पूजा करनी चाहिए।
-पंचमी को लक्ष्मीजी और नाग देवता की पूजा करनी चाहिए।
-षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए।
-सप्तमी तिथि पर भगवान सूर्य की पूजा करने का विधान है।
-अष्टमी पर मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए और इस दिन ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान करने का विधान बताया गया है।
-नवमी को भद्रकाली की पूजा की जाती है।
-दशमी तिथि पर भगवान धर्मराज की पूजा करें।
-शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर कृष्ण भगवान का दोलोत्सव यानी कृष्ण पत्नी देवी रुक्मिणी की पूजा करने का विधान है।
-द्वादशी तिथि पर दमनकोत्सव मनाया जाता है।
-त्रयोदशी तिथि पर कामदेव की पूजा करने की परंपरा है।
-चतुर्दशी तिथि पर नृसिंहदोलोत्सव, एकवीर, भैरव तथा शिवजी की पूजा करने का विधान है।
-पूर्णिमा, मन्वादि तिथि होने से इस दिन स्नान-दान का बहुत महत्व है। साथ ही इस दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है और वैशाख महीने स्नान शुरू हो जाते हैं।