इस साल हिंदी कैलेंडर में तिथियों के कम-ज्यादा होने का असर पूरे साल के एकादशी व्रतों पर नहीं पड़ेगा। इस साल 24 एकादशी व्रत किए जाएंगे। अंग्रेजी कैलेंडर और हिंदी पंचांग में तालमेल बैठाने के बाद जब तिथियां आगे पीछे हो जाती है तो उस साल कुछ व्रत भी कम या ज्यादा हो जाते हैं। आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के एक साल में 24 एकादशी होती हैं। लेकिन 2021 में पौष महीना जनवरी और दिसंबर में फिर होने से 25 एकादशी व्रत किए गए। उससे पहले 2020 में भी ऐसा हुआ था। तब अधिकमास होने से जुलाई में 3 एकादशी व्रत थे। अब 2022 में ऐसा नहीं होगा।

महीने में 2 बार होती है एकादशी
ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। ये महीने में दो बार आती है। एक शुक्लपक्ष के बाद और दूसरी कृष्ण पक्ष के बाद। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्णपक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आने वाली को शुक्लपक्ष की एकादशी कहते हैं। इस तरह साल 24 एकादशी तिथियों को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व है।

यज्ञ से भी ज्यादा फल देता है एकादशी व्रत
पुराणों के मुताबिक, एकादशी को हरी वासर यानी भगवान विष्णु का दिन कहा जाता है। विद्वानों का कहना है कि एकादशी व्रत यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है। पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मिलने वाले पुण्य से पितरों को संतुष्टि मिलती है। स्कन्द पुराण में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। इसको करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

पुराणों और स्मृति ग्रंथ में एकादशी व्रत
स्कन्द पुराण में कहा गया है कि हरिवासर यानी एकादशी और द्वादशी व्रत के बिना तपस्या, तीर्थ स्थान या किसी तरह के पुण्याचरण द्वारा मुक्ति नहीं होती। पदम पुराण का कहना है कि जो व्यक्ति इच्छा या न चाहते हुए भी एकदशी उपवास करता है, वो सभी पापों से मुक्त होकर परमधाम वैकुण्ठ धाम प्राप्त करता है। कात्यायन स्मृति में जिक्र किया गया है कि आठ साल की उम्र से अस्सी साल तक के सभी स्त्री-पुरुषों के लिए बिना किसी भेद के एकादशी में उपवास करना कर्त्तव्य है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सभी पापों ओर दोषों से बचने के लिए 24 एकादशियों के नाम और उनका महत्व बताया है।

 

एकादशी का नाम
13 जनवरी, गुरुवार पुत्रदा एकादशी, वैकुंठ एकादशी
28 जनवरी, शुक्रवार षटतिला एकादशी
12 फरवरी, शनिवार जया एकादशी
26 फरवरी, शनिवार विजया एकादशी
14 मार्च, सोमवार आमलकी एकादशी
28 मार्च, सोमवार पापमोचिनी एकादशी
12 अप्रैल, मंगलवार कामदा एकादशी
26 अप्रैल, मंगलवार वरूथिनी एकादशी
12 मई, गुरुवार मोहिनी एकादशी
26 मई, गुरुवार अपरा एकादशी
10 जून, शुक्रवार निर्जला एकादशी
24 जून, शुक्रवार योगिनी एकादशी
10 जुलाई, रविवार देवशयनी एकादशी
24 जुलाई, रविवार कामिका एकादशी
8 अगस्त, सोमवार श्रावण पुत्रदा एकादशी
23 अगस्त, मंगलवार अजा एकादशी
6 सितंबर, मंगलवार परिवर्तिनी एकादशी
21 सितंबर, बुधवार इंदिरा एकादशी
6 अक्टूबर, गुरुवार पापांकुशा एकादशी
21 अक्टूबर, शुक्रवार रमा एकादशी
4 नवंबर, शुक्रवार देव प्रबोधिनी एकादशी
20 नवंबर, रविवार उत्पन्ना एकादशी
3 दिसंबर, शनिवार मोक्षदा एकादशी
19 दिसंबर, सोमवार सफला एकादशी

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