हिन्दी पंचांग नवां माह अगहन शनिवार, 20 नवंबर से शुरू हो रहा है। ये माह रविवार, 19 दिसंबर तक चलेगा। इस महीने का एक नाम मार्गशीर्ष भी है। सभी 12 माहों में इस माह का महत्व काफी अधिक है। इसे श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार ये श्रीकृष्ण का प्रिय माह है। स्कंदपुराण के मुताबिक श्रीकृष्ण के भक्तों को अगहन मास में व्रत-उपवास और विशेष पूजन आदि धर्म-कर्म करना चाहिए। अगहन मास में श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी बाल गोपाल की विशेष पूजा रोज करनी चाहिए। बाल गोपाल को तुलसी के साथ ही भोग लगाना चाहिए। भगवान के सामने घी का दीपक जलाकर कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें।
बाल गोपाल की पूजा के लिए ये हैं जरूरी चीजें- भगवान की मूर्ति को स्नान के लिए बड़ा बर्तन, तांबे का लोटा, कलश, दूध, वस्त्र, आभूषण, चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, फूल, अष्टगंध, तुलसी, तिल, जनेऊ, फल, मिठाई, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, माखन-मिश्री, पान, दक्षिणा।
अगहन मास में रोह सुबह जल्दी उठें और घर के मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें। सबसे पहले श्रीगणेश की पूजा करें। गणेशजी को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। फूल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। चावल चढ़ाएं।
गणेशजी के बाद श्रीकृष्ण की पूजा करें। श्रीकृष्ण को स्नान कराएं। स्नान पहले शुद्ध जल से फिर पंचामृत से और फिर शुद्ध जल से कराएं। इसके बाद वस्त्र अर्पित करें।
वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। हार-फूल, फल मिठाई, जनेऊ, नारियल, पंचामृत, सूखे मेवे, पान, दक्षिणा और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। तिलक करें। धूप-दीप जलाएं। तुलसी के पत्ते डालकर माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें। आप ऊँ नमो भगवते गोविन्दाय, ऊँ नमो भगवते नन्दपुत्राय या ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम: मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। कर्पूर जलाएं। आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें।
पूजा में हुई अनजानी भूल के लिए क्षमा याचना करें। पूजा पूर्ण होने पर भक्तों को प्रसाद बांट दें और खुद भी ग्रहण करें।