राजनैतिक उथल-पुथल, देश-दुनिया में तनाव और डर बढ़ेगा; प्राकृतिक आपदाओं के भी योग हैं
23 मई से शनि महाराज वक्री हो गए हैं। यानी टेढ़ी चाल से चलने लगे हैं और 10 अक्टूबर तक ऐसे ही रहेंगे। इन 141 दिनों में शनि के साथ कुछ दिन बुध और फिर बृहस्पति भी टेढ़ी चाल से चलेंगे। इस दौरान जून-जुलाई में करीब 48 दिन शनि और मंगल का अशुभ योग भी रहेगा।
सितारों की इस स्थिति के कारण कई लोग मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं। इन ग्रहों की वजह से देश-दुनिया में उथल-पुथल भी होने की आशंका है। जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तनाव और डर बढ़ सकता है। देश में भी प्राकृतिक आपदाएं और दुर्घटनाओं की स्थिति बन सकती हैं।
23 से ग्रह परिवर्तन, 59 साल बाद मंगल-शनि आमने-सामने
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि शनि की चाल में बदलाव होते ही देश-दुनिया में तनाव की स्थिति भी बनने लगेगी। शनि के कारण बीमारियों में कमी तो आएगी लेकिन डर बना रहेगा। शनि देव श्रवण नक्षत्र में टेढ़ी चाल से चलेंगे। इस नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा होता है और चंद्रमा का असर मानसिक गतिविधियों पर पड़ता है। इसलिए शनि की वजह से लोगों में डर और तनाव की स्थिति रहेगी।
इस बीच 2 जून से 20 जुलाई तक मंगल और शनि आमने सामने रहेंगे और एक दूसरे पर पूर्ण दृष्टि रखेंगे। इन दो शत्रु ग्रहों की वजह से देश-दुनिया में शीत युद्ध जैसा माहौल बनेगा। साथ ही प्राकृतिक आपदाएं या दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं। भूकंप और नुकसान पहुंचाने वाले आंधी-तुफान आने की भी आशंका है। देश में कहीं बहुत ज्यादा बारीश और कहीं पर सूखा रहेगा। देश में राजनीतिक उथल-पुथल होगी। बड़े राजनेताओं और जनता के बीच तनाव रहेगा। भूकंपन, वर्षा, तूफान, आंधी आ सकती है। विपरीत परिस्थितियों में सोने-चांदी के भाव में गिरावट हो सकती है।
चंद्रग्रहण और बुद्ध पूर्णिमा एक साथ
26 मई बुधवार को अनुराधा नक्षत्र में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस बार पूर्णिमा मंगलवार रात तकरीबन 8:30 बजे से शुरू होकर बुधवार शाम 4:43 तक रहेगी। खास बात ये है कि पूर्णिमा सिद्ध, सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग के बीच में मनाई जाएगी। साल का पहला चन्द्र ग्रहण भी इसी दिन होगा। भारतीय समयानुसार ग्रहण दोपहर 2.17 से शाम 7.19 तक रहेगा।
ये चन्द्र ग्रहण पूर्वी एशिया, दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा। ग्रहण का शुरुआती भाग ब्राजील के पश्चिमी हिस्से, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के पूर्वी हिस्से में दिखाई देगा। हिंद महासागर, श्रीलंका, भारत के उत्तर पूर्वी हिस्से, चीन, मंगोलिया और रूस में ग्रहण अन्तिम हिस्से में दिखाई देगा। डॉ. मिश्र का कहना है कि जिन जगहों पर ग्रहण दिखेगा बस वहीं इसका सूतक रहेगा।