इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर को पड़ेगा। खास बात है कि ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। इसलिए इसका सूतक और धार्मिक महत्व भी नहीं रहेगा। जिससे शनैश्चरी अमावस्या पर स्नान-दान और पूजा-पाठ पूरे दिन की जा सकेगी।

ये ग्रहण अन्टार्कटिका और दक्षिण महासागर से दिखाई देगा। आंशिक सूर्य ग्रहण अफ्रीकी महाद्वीप की कुछ जगहों से दिखेगा। खासतौर से दक्षिण अफ्रीका, नामिबिया, दक्षिण अमेरिका के कुछ दक्षिणी हिस्सों, हिन्द महासागर में कुछ जगह, दक्षिण अटलान्टिक महासागर और ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप के कुछ जगहों पर दिखाई देगा।

दक्षिण अफ्रीका में दिखेगा सूर्य ग्रहण
भारत को छोड़कर दक्षिण अफ्रीका में केप टाउन और जॉर्ज, नामिबिया में स्वाकोपमुण्ड और ऑस्ट्रेलिया में मेलबोर्न और होबार्ट में ये आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। बताया जा रहा है कि ये पूर्ण सूर्य ग्रहण भारतीय समय के मुताबिक सुबह 10.59 पर शुरू होगा। इस ग्रहण के मध्य का समय दोपहर 1.04 रहेगा। इसके बाद दोपहर 03.07 तक ये सूर्य ग्रहण खत्म हो जाएगा। इस ग्रहण की पूर्णता का समय 1 मिनट 57 सेकंड रहेगा। यानी इस अवधि में सूर्य पूरी तरह चंद्रमा की छाया में छिप जाएगा।

सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है चांद, यही है सूर्य ग्रहण
पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चांद पृथ्वी की। कभी-कभी इस प्रक्रिया में चांद सूरज और धरती के बीच में आता है। इससे सूरज की कुछ या फिर सारी रोशनी धरती पर आने से रुक जाती है और धरती पर अंधेरा फैल जाता है। इस घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है। यह घटना अमावस्या के दिन होती है। ज्यादातर तो चांद सूरज के कुछ भाग को ढंकता है। जिसे खंड ग्रहण कहा जाता है, लेकिन कभी-कभार ऐसा भी होता है कि जब चांद सूरज को पूरी तरह से ढंक लेता है तो इसे पूर्ण ग्रहण कहते हैं।

अमावस्या पर दान-पुण्य का होता है विशेष महत्व
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि हर महीने में कृष्ण पक्ष का आखिरी दिन यानी अमावस्या तिथि काफी अहम होती है। गरुड़, पद्म और ब्रह्मवैवर्त पुराण के मुताबिक हर महीने आने वाली अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए श्राद्ध किया जाना चाहिए। इस दिन पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ तर्पण, स्नान-दान इत्यादि करना बेहद जरूरी होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पुण्य फल मिलता है।

 

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