माँ बनना प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान – एसीएमओ
फर्रुखाबाद : महिलाएं किसी भी समाज की मजबूत स्तंभ होती हैं। जब हम महिलाओं और बच्चों की समग्र देखभाल करेंगे तभी देश का सतत विकास संभव है। इसलिए गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की उचित देखभाल और प्रसव संबंधी जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया गया | इस दौरान गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जाँच के साथ-साथ उनको गर्भ में पल रहे शिशु का ध्यान किस प्रकार रखा जाये बताया गया |
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि माँ बनना प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान माना जाता है लेकिन अपने देश में आज भी यह कुछ महिलाओं के लिए मौत की सजा से कम नहीं है।
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय महिला के सीएमएस डॉ कैलाश दुल्हानी ने बताया कि अशिक्षा, जानकारी की कमी, समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, कुपोषण, कच्ची उम्र में विवाह, बिना तैयारी के गर्भधारण आदि कुछ कारणों की वजह से माँ बनने का खूबसूरत अहसास कई महिलाओं के लिए जानलेवा और जोखिम भरा साबित होता है। कई मामलों में माँ या नवजात शिशु या दोनो की ही मौत हो जाती है।
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय महिला में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ नमिता दास ने बताया कि ज्यादातर मातृ मृत्यु की वजह बच्चे को जन्म देते वक्त अत्यधिक रक्त स्राव के कारण होती है। इसके अलावा इंफेक्शन, असुरक्षित गर्भपात या ब्लड प्रेशर भी अहम वजहें हैं।
जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता अतुल गुप्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत लाभार्थियों को हर महीने की नवीं तारीख़ को प्रसव पूर्व देखभाल की जाती है |
अतुल ने बताया कि इस कार्यक्रम की शुरुआत इस आधार पर की गयी, कि देश में हर एक गर्भवती महिला का चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षण एवं पीएमएसएमए के दौरान उचित तरीके से कम से कम एक बार जांच की जाए तो यह अभियान हमारे देश में होने वाली मातृ मृत्यु की संख्या को कम करने में महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका निभाएगा।
अतुल ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष 2021-22 में जिले में 55271 गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया जिसमें से 6782 महिलाएं एचआरपी निकली जिसमें से 4439 महिलाओं का सुरक्षित प्रसव स्वास्थ्य इकाईयों पर हो चुका है |
अतुल ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) कार्यक्रम शुरू किया गया । इस कार्यक्रम के तहत न सिर्फ महिलाओं की परेशानियाँ दूर होंगी , बल्कि मातृ मृत्यु दर में भी कमी आएगी | लोग संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता देंगे।
इस कार्यक्रम के तहत शत-प्रतिशत मातृ मृत्यु दर की रिपोर्टिंग का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सबसे पहले मातृ मृत्यु की सूचना देने वाले व्यक्ति को एक हजार रूपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है । इसके अलावा इस संबंध में किसी प्रकार की परेशानी होने पर 104 टोल फ्री नंबर कॉल कर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। सुमन कार्यक्रम के तहत प्रसव के बाद आवश्यकतानुसार बीमार प्रसूति और शिशु को निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जा रही है ।
योजना का लाभ लें
अपर शोध अधिकारी हरिमोहन कटियार ने बताया की जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर शहरी क्षेत्र की महिला को पोषण के लिए 1000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्र की महिला को 1400 रुपये विभाग की ओर से महिला के बैंक खाते में भेजी जाती है | वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस योजना के तहत 21,555 महिलाओं के खाते में लगभग 3 करोड़ 70 लाख 10 हजार 800 रुपये का भुगतान किया गया |
वहीं प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के जिला कार्यक्रम समन्वयक आशुतोष यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत जिले को शासन की ओर से इस वित्तीय वर्ष में 10,032 गर्भवती महिलाओं के रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य दिया गया था। इसके सापेक्ष 12,070 महिलाओं का रजिस्ट्रेशन किया गया। योजना की शुरुआत से अब तक 16 करोड़ 58 लाख 22 हजार रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
पहली बार गर्भवती होने पर योजना के तहत पंजीकरण के लिए गर्भवती और उसके पति का कोई पहचान पत्र या आधार कार्ड, मातृ शिशु सुरक्षा कार्ड, बैंक पासबुक की फोटोकॉपी जरूरी है। बैंक अकाउंट ज्वाइंट नहीं होना चाहिए। पंजीकरण के साथ ही गर्भवती को प्रथम किश्त के रूप में 1000 रुपये दिए जाते हैं। प्रसव पूर्व कम से कम एक जांच होने या गर्भावस्था के छह माह बाद दूसरी किस्त के रूप में 2000 रुपये और बच्चे के जन्म का पंजीकरण होने और बच्चे के प्रथम चक्र का टीकाकरण पूरा होने पर धात्री महिला को तीसरी किस्त के रूप में 2000 रुपये दिए जाते हैं। विभाग की स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं का ही परिणाम है जो मातृ मृत्यु दर में कमी आई है ।
इस दौरान गर्भवती महिलाएं मौजूद रहीं ।