BUDAUN SHIKHAR
बदायूँः 10 नवम्बर।
खेतों में पराली जलाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी, सम्बन्धित के विरूद्ध अर्थदण्ड के साथ ही वैधानिक कार्यवाही भी अमल मे लाई जाएगी। पराली अथवा अन्य कृषि अपशिष्टों के जलाये जाने के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण की रोक-थाम एवं उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध शासन स्तर पर कड़े निर्देश निर्गत किए गए हैं, जिसके अनुसार पराली अन्य कृषि अपशिष्टों के जलाये जाने पर दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को 2500 रुपए, दो से पांच एकड़ भूमि रखने वाले किसानों को 5000 रूपए एवं पांच एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले बड़े किसानों को 15000 रूपए तक अर्थदण्ड लगाए जाने तथा पुनरावृत्ति होने पर एफ0आई0आर0 भी दर्ज कराये जाने का प्राविधान किया गया है।
रविवार को अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व नरेंद्र बहादुर सिंह की अध्यक्षता में उनके कैंप कार्यालय पर पराली व अन्य कृषि अपशिष्टों के जलाने पर रोक लगाने के संबंध में बैठक आयोजित की गई। उन्होंने बताया कि इसकी निगरानी के लिये तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में मोबाइल स्क्वायड का गठन किया गया है, जिसमें पुलिस व कृषि विभाग के अधिकारी शामिल किये गये हैं, जो धान की कटाई से लेकर गेंहूँ की बुआई होने तक लगातार भ्रमण कर निगरानी करेंगे तथा अवशेष जलने की घटनाओं पर उचित कदम उठायेंगे। ग्राम प्रधान व सम्बन्धित ग्रामों के लेखपाल यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके गांव में फसल का अवशेष किसी भी दशा में न जलने पाये, साथ ही प्रत्येक राजस्व ग्राम के लिये एक नोडल अधिकारी/कर्मचारी की नियुक्ति भी की जा रही है, जो पूर्णरूप से उत्तरदायी होगा। उन्होने बताया कि पराली अथवा अन्य कृषि अपशिष्टों के जलाये जाने कृ
एडीएम वित्त एवं राजस्व ने कहा कि फसल का अवशेष जलाने पर रासायनिक क्रियाओं से पर्यावरण को बहुत तेजी से नुकसान पहुंचाने के साथ ही मानव जीवन भी अस्त-व्यस्त हो रहा है। अतः कोई भी पराली अथवा फसल के अवशेष न जलाएं। इस अवसर पर कृषि उप निदेशक रामवीर कटारा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एके जदौन, जिला गन्ना अधिकारी राम किशन एवं उपजिलाधिकारी बिसौली सीपी सरोज सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे।

