-जन्म-जमांतरों की संचित दुष्प्रवृत्तियां गंगा जल से संस्कारित हो जाती हैं

– दिवंगतात्माओं की शांति के लिए किया दीपदान 

उझानी (बदायूँ) । अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में कछला के भगीरथी गंगा तट ज्येष्ठ की अमावस्या पर साफ-सफाई की। वेदमंत्रोच्चारण के साथ मां गंगा का पूजन, आरती हुई। दिवंगतात्माओं की शांति के लिए  दीपदान किया गया।

गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि गौ, गंगा और गायत्री पापों का नाश कर पोषण देने वाली मातृशक्तियां हैं। मां गंगा की अमृतधारा ज्ञान का प्रवाह है, इसमें स्नान करने से शरीर की मलिनता ही नहीं हटती, अंतःकरण भी पवित्र हो जाता है। मां गंगा के दर्शन से कुविचारों पर अंकुश लगता है और मन निर्मल और भावनाएं सात्विक हो जाती है। मनुष्य को रोम-रोम में समाहित जन्म-जमांतरों की संचित दुष्प्रवृत्तियों को गंगा जल संस्कारित करता है। देवी देवताओं और ऋषि मुनियों के तप और त्याग से भारत में बहने वाली जीवनदायिनी मां गंगा के आंचल को कूड़ा कचरा डालकर गंदा न करें। मां गंगा भारत की जीवन रेखा है। इसे स्वच्छ बनाए नमन वंदन करें।

सुनीत अग्रवाल ने कहा कि मां गंगा के सानिध्य में तप करने से पाप वृत्तियां नष्ट हो जाती है और जीवन उज्ज्वल बन जाता है। शुभकारिणी और मंगलकारिणी गंगा समस्त प्राणियों और मनुष्यों का उद्धार करती है। आध्यात्मिक रोगों की दवा गंगा जल है। आंतरिक पापों और दोषों का समाधान होता है। मां गंगा की ममता पाने के लिए तटों को साफ रखें और उसके अस्तित्व को बचाएं।

मृत्युंजय शर्मा ने श्रद्धालुओं से घरों से लाई गई पूजा सामग्री, बासे फूल, पाॅलीथीन और अन्य सामग्री गंगा तट पर न ले जाने का आह्वान किया। मूर्तियों का भूविसर्जन करने और गंगा तटों को तीर्थ बनाने के लिए भी संकल्पित किया। इस मौके पर हेमंत शर्मा, दीप्ति शर्मा, भवेश शर्मा, पंकज कुमार, पवन, भूमि आदि मौजूद रहे।

 

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