प्रखर बाल संस्कारशाला के कैंप कार्यालय पर गोपाष्टमी पर गौमाता का पूजन करते गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा।

  • -जन्मदात्री मां के बाद जीवन पर्यंत गौमाता पिलाती है अमृत
    -ऋषियों ने समाज, कृषि ने पर्यावरण और गौमाता ने दिया अर्थव्यवस्था को पोषण
    -गौ से मिली ईश्वर की अनुकम्पा, गांव और शहर बनें तीर्थ
    -गौ संरक्षण से ग्राम्य जीवन को पुनर्जीवित करें, संकटों को टालें

उझानी (बदायूँ): अखिल विश्व गायत्री परिवार की ओर से प्रखर बाल संस्कारशाला के कैंप कार्यालय पर श्री गोपाष्टमी का पावन पर्व मनाया। मातृशक्तियों और देवकन्याओं ने गौमाता का श्रंगार किया। पूजन कर गौमाता के विराट स्वरुप की आरती की।
गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि विश्वगुरू भारत ने ऋषि-कृषि परम्परा से संपूर्ण दुनियां को श्रेष्ठ संस्कारों का दुर्लभ ज्ञान दिया। ऋषियों ने समाज, कृषि ने पर्यावरण के संतुलन और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया। दोनों परम्पराओं को जीवंत और जाग्रत बनाने वाली गौमाता रही है। श्री शर्मा ने कहा कि गोदुग्ध ने जनमानस को विशिष्ट शक्ति, बल और सात्विक बुद्धि प्रदान की। गोबर-गोमूत्र ने खेती और पर्यावरण शुद्धता को पोषण दिया। बैलों की ऊर्जा ने उत्तम कृषि, भारवाहन और ग्रामोद्योगों को देकर युवाओं को स्वावलम्बन से जोड़ा और रोजगार परक बनाया।
समाजसेविका रीना शर्मा ने कहा कि मनुष्य ने सुख साधनों को बढ़ाने में गांवों को उखाड़ फेंका। सादगी और संयम की ग्रामीण संस्कृति को नष्ट कर दिया। पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ दिया। गांवों की ओर लौटें, अपने संयमित अस्तित्व को बचाएं।
मातृशक्ति आरती शर्मा ने कहा कि गौ संरक्षण कर ग्राम्य जीवन को पुनर्जीवित करेें और अपने ऊपर आने वाले संकटों को टालें।
भूमि शर्मा ने वेदमंत्रोच्चारण कर पूजन कराया। मातृशक्तियों और देवकन्याओं ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ गौमाता का तिलक वंदन किया और आरती उतारी।
इस मौके पर सौम्या, मृत्युंजय, हेमंत, कल्पना, कशिश, नेहा, वंश, दीप्ति, खुशबू आदि मौजूद रहीं।

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