जिला सम्वाददाता
बदायूँ । राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचन्द गांधी की 152वीं एवं जय जवान-जय किसान का नारा देने वाले देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 117वीं जयंती 02 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में जिलाधिकारी दीपा रंजन, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व नरेन्द्र बहादुर सिंह, अपर जिलाधिकारी प्रशासन ऋतु पुनिया एवं नगर मजिस्ट्रेट अमित कुमार व कलेक्ट्रेट के अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने दोनों महापुरुषों की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। गांधी जी के द्वारा बताए गए सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का निर्णय लिया गया कि गांधी जी के बताए गए विचारों पर सभी अधिकारी एवं कर्मचारी कार्य करें। अधिकारी एवं कर्मचारियों को जो पद मिला है उस पर इमानदारी से कार्य करके गरीबों की मदद करें।
शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने कहा कि 02 अक्टूबर को भारत की ऐसी दो महान विभूतियों ने जन्म लिया, जिन्होंने हमारे देश को विश्व एक अलग पहचान दिलाई इनका देश निर्माण में बहुत बड़ा हाथ है। यह बहुत ही पवित्र दिवस है। गांधी जी और शास्त्री जी की जीवनी सभी ने बहुत बार पढ़ा है। दोनों की ही सादगी की मिसाल दी जाती है। शास्त्री जी ने देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी अपनी सादगी को बनाए रखा। गांधी जी का जीवन ही एक संदेश है। किसी की जिंदगी संवारने में मदद करके देखिए, आपको इतना सुकून मिलेगा, जो आपने कभी सोचा भी नहीं होगा। चाहे किसी बच्चे को गोद ले, किसी की पढ़ाई का खर्च उठा लें। सभी अधिकारी कर्मचारी कम से कम 05 किताबे अवश्य दान करें। इसके अलावा अन्य लोग भी परीक्षाओं व कम्प्टीशन से सम्बंधित किताबे अवश्य दान करें, जिसे पढ़कर गरीब विद्यार्थियों का जीवन संवर सकें। इसमें सभी आगे बढ़कर आए। सच्ची श्रद्धांजलि यही है, कि अपने विचारों और जीवन शैली में बदलाब आएं।
एडीएम वि0/रा0 ने कहा कि गांधी जी के विचारों में बहुत गहराई थी, मैं जब उन्हें समझने की कोशिश करता हूँ, तो समझ में आता है कि उनके एक-एक शब्द पर पूरी पूरी किताबे लिखी जा सकती हैं। अन्त्योदय, साक्षरता, सफाई सहित हर स्तर पर उन्होंने काम किया है। दुनिया के महान लोगों की प्रेरणा के रूप में गांधी जी आज भी जिंदा हैं।
एडीएम प्रशासन ने कहा कि बच्चों को घरों में महात्मा गांधी की जीवनी ज़रूर सुनानी चाहिए, बेहतर होगा कि उनको पुरुषों की विचारों वाली किताबे उन्हें उपलब्ध करा दें तथा पुस्तकालयों में रखवाएं, जिससे बच्चे उन किताबों से प्रेरणा ले सकें और महापुरुषों के विचारों को अपने जीवन में उतारें। महापुरुषों के एक-एक सिद्धांत को भी अपने जीवन में उतारते हैं, तो हमारा जीवन ही बदल जाएगा और आपके व्यक्तिव में अलग निखार आएगा। लाल बहादुर शास्त्री जी इतने बड़े पद पर पहंुचने के बाद साधारण रहे, यह बड़ी बात थी।
नगर मजिस्ट्रेट ने कहा कि यदि दायित्वों का निर्वाहन समय, गंभीरता और ईमानदारी से किया जाए तो निश्चित रूप से मन को बहुत शान्ति मिलेगी और राष्ट्रनिर्माण में मदद होगी। गांधी जी, वह व्यक्तित्व जिसने भारत के स्वाधीनता को ही अपना ओढ़ना और बिछौना बना लिया। जमीन पर लेटना कम सोना और लगातार कार्य करना, शरीर की तो जैसे कोई खोज खबर ही नहीं, सादा जीवन उच्च विचार की यही परिभाषा अंगीकार करने वाले महात्मा गांधी का व्यक्तित्व ही था कि करोड़ों लोग गहरी नींद से जाग उठे और ब्रिटिश साम्राज्य की रूह कांप गई।
इसके पश्चात नगर विकास राज्यमंत्री महेश चन्द्र गुप्ता व डीएम ने गांधी नेत्र चिकित्सालय जन्मसति में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर तिरंगा फहराया। उन्होंने गांधी जी के जीवन काल पर रोशनी डालते हुए सभी से उनके बताए गए रास्तों पर चलने की कामना की।