• -मां भावानी करतीं हैं, भावनाओं को परिष्कृत
  • -श्रेष्ठ चिंतन से मिलता है, संस्कृति और संस्कारों को पोषण
  • -देवियों के रूप में सजी बेटियों को किया गया सम्मानित

उझानी (बदायूँ): शांतिकंुज हरिद्वार के मार्गदर्शन में चल रहे प्रखर बाल संस्कारशाला के कैंप कार्यालय पर ‘‘बेटियां हैं, शक्तिस्वरूपा‘‘ कार्यक्रम के अंतर्गत मातृशक्तियों के रूप में सजी देवकन्याओं को सम्मानित किया गया। बालिकाओं ने लोकगीतांे की शानदार प्रस्तुति दी।

गायत्री परिवार के संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि कार्यसिद्धि का आधार जाग्रत संकल्प और अदम्य उत्साह है। श्रेष्ठ चिंतन और पवित्र भावनाओं से संस्कृति और संस्कारों को पोषण मिलता है। नारी के सम्मान में संस्कृति उत्थान है। मनुष्य दिव्यता और दिव्य शक्तियों को पाने के लिए बेटियों को शक्तिस्वरूपा के रूप में पूजें।

निर्मल गंगा जन अभियान के सुखपाल शर्मा ने कहा देवकन्याएं मां दुर्गा, मां काली, मां सरस्वती और मां गायत्री के रूप में दिव्य शक्तियां ही हैं। उन्होंने कहा शिव असुरता का संहार और भवानी भावनाओं का परिष्कार करती हैं।

‘‘बेटियां हैं, शक्तिस्वरूपा‘‘ कार्यक्रम में मातृशक्तियों के रूप में सजीं बालिका कशिश, कल्पना, नेहा, दीप्ति, आयुषी, रौनक, भूमि, कनक आदि बालिकाओं को गायत्री मंत्र का पटका, युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम आचार्य का सद्साहित्य और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

इस मौके पर रीना शर्मा, आरती शर्मा, सोनाली माहेश्वरी, रिंकी शर्मा, पिंकी शर्मा आदि मातृशक्तियां मौजूद रहीं।

 

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