जिला संवाददाता विजय कुमार वर्मा

बदायूँ : 25 जून 1975 में देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री रहीं स्व.इंदिरा गांधी की ओर से लगाई गई इमरजेंसी के विरोध में रविवार को भाजपा कार्यालय पर विचार संगोष्ठी आयोजित की गई।

भाजपा कार्यालय पर 25 जून आपातकाल दिवस पर विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे लोकतंत्र सेनानियों एवं पार्टी पदाधिकारियों के साथ युवा पीढ़ी को आपातकाल में हुए अत्याचारों के बारे में बताया गया साथ ही लोकतंत्र सेनानियों को फूलमाला व शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया गया।

सांसद डॉ संघमित्रा मौर्य ने कहा आपातकाल लगने वाला आज का दिन काला दिन था। जिसे तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इतिहास के पन्नों को भी काला करने का काम किया है। आपात काल में इंदिरा सरकार ने मनमा करते हुये जनसंघ के बड़े नेताओं को जहां जेल में बंद कर दिया था, वहीं मीडिया पर लगाम लगाने का काम किया था। इसलिए कांग्रेस देश की जनता की दोषी है। इस कुकृत्य के लिए देश की जनता से कांग्रेसियों को सरेआम माफी मांगनी चाहिए। स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे कलंकित करने वाला यह दिन था इसलिए 25 जून की तारीख एक काला अध्याय के रूप में हम मनाते हैं जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता।

जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता ने कहा 25 जून 1975 को तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने देश भर में आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का गला घोंटने का काम किया था। आपातकाल देश के लिए एक काला धब्बा है आपातकाल के दौरान लाखों राजनीति कार्यकर्ताओं को प्रताड़ना दी गई, और उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया, प्रेस की आजादी छीन ली गई अखबारों पर सेंसरशिप लगा दी गई, भारत के कई बड़े नेता सहित अखबारों के वरिष्ठ संपादक संघ के हजारों स्वयंसेवक सहित लाखों लोगों को जेल में डालकर 19 महीनों तक यातनाएं दी गई। सविधान में असवैधानिक संशोधन किया गया सभी विपक्ष के राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर जबरन नसबंदी लोगों का किया जाने लगा। सौंदर्यीकरण के नाम पर लाखों गरीबों के घर उजाड़ गए पूरे आपातकाल के दौरान देशवासियों पर तरह-तरह के अत्याचार किए गए मानवाधिकार का खुलकर हनन किया गया।

सदर विधायक महेश चंद्र गुप्ता ने कहा स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद दौर माना जाता है। इसे भारतीय राजनीति के इतिहास का काला अध्याय कहा जाता है। कि 25 जून 1975 की वह आधी रात, जब आपातकाल की घोषणा की गई तब सभी नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए। अभिव्यक्ति के अधिकार छीन लिए गए और जीवन का अधिकार भी नहीं रह गया था। आपातकाल 21 मार्च 1977 तक लगी रही। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के इस आपातकाल ने देश की राजनीति की दशा ही पूरी तरह बदल कर रख दी थी।

इस मौके पर पूर्व विधायक प्रेमस्वरूप पाठक, पूर्व जिलाध्यक्ष हरप्रसाद सिंह पटेल, जिला महामंत्री सुधीर श्रीवास्तव, जिला महामंत्री शारदाकान्त शर्मा, वरिष्ठ नेता राणा प्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे।

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