बदायूँ। युवा संकल्प सेवा समिति परिवार की ओर से मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर गुरुवार को दुर्गा मंदिर निकट पुरानी चुंगी पर बिशेष यज्ञ का आयोजन किया गया है उसके उपरान्त खिचड़ी भोज का आयोजन किया गया। मुख्य यज्ञमान के रुप में भाजपा जिला अध्यक्ष अशोक भारतीय जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष ठा उमेश राठौर एवं नगर पालिका अध्यक्ष दीपमाला व नन्हें लाल कश्यप आदि उपस्थित रहे।
आचार्य प त्रिलोक शास्त्री ने मकंर संक्रांति पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि क्यों मनाते हैं, जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो ज्योतिष में इस घटना को संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास कहलाता है। पौष मास में सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस अवसर को देश के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग त्योहार के रूप में मनाते हैं। मकर संक्रांति का त्योहार उत्तर भारत में हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है।
संस्था के सचिव पुनीत कुमार कश्यप ने कहा मकर संक्रांति को खुलता है स्वर्ग का द्वार
इस दिन से धरती पर अच्छे दिनों की शुरुआत मानी जाती है इसकी वजह यह है कि सूर्य इस दिन से दक्षिण से उत्तरी गोलार्ध में गमन करने लगते हैं। इससे देवताओं के दिन का आरंभ होता है।
भाजपा जिला अध्यक्ष अशोक भारतीय ने कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन स्वर्ग का दरवाजा खुल जाता है। इसलिए इस दिन किया गया दान पुण्य अन्य दिनों में किए गए दान पुण्य से अधिक फलदायी होता है।
नगर पालिका अध्यक्ष दीपमाला गोयल ने कहा कि मकर संक्रांति के दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रांति का ही चयन किया था। गीता में बताया गया है कि जो व्यक्ति उत्तरायण में शुक्ल पक्ष में देह का त्याग करता है उसे मुक्ति मिल जाती है। मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं इसलिए इस पुण्यदायी दिवस को हर्षोल्लास से लोग मनाते हैं।
डी सी वी के चैयरमैन ठा उमेश राठौर ने कहा कि पुराणों में मकर संक्रांति की कथा श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण के मुताबिक, शनि महाराज का अपने पिता से वैर भाव था क्योंकि सूर्य देव ने उनकी मकर संक्रांति से जुड़ा है सूर्य शनि का वरदान
पिता सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से पीड़ित देखकर यमराज काफी दुखी हुए। यमराज ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवाने के लिए तपस्या की। लेकिन सूर्य ने क्रोधित होकर शनि महाराज के घर कुंभ जिसे शनि की राशि कहा जाता है उसे जला दिया। इससे शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था। यमराज ने अपनी सौतेली माता और भाई शनि को कष्ट में देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया। तब जाकर सूर्य देव ने कहा कि जब भी वह शनि के दूसरे घर मकर में आएंगे तब शनि के घर को धन-धान्य से भर देंगे। प्रसन्न होकर शनि महाराज ने कहा कि मकर संक्रांति को जो भी सूर्यदेव की पूजा करेगा उसे शनि की दशा में कष्ट नहीं भोगना पड़ेगा।
बरिष्ठ समाज सेवी अशोक खुराना ने कहा कि मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है। ठंड की वजह से सिकुरते लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां के पर्व त्योहार का संबंध काफी कुछ कृषि पर निर्भर करता है। मकर संक्रांति ऐसे समय में आता है जब किसान रबी की फसल लगाकर खरीफ की फसल, धन, मक्का, गन्ना, मूंगफली, उड़द घर ले आते हैं। किसानों घर अन्न से भर जाता है। इसलिए मकर संक्रांति पर खरीफ की फसलों से पर्व का आनंद मनाया जाता है।
इस मौके पर संस्था के उपाध्यक्ष निखिल कुमार गुप्ता, योगेन्द्र सागर, अंकित राठौर, अरुण पटेल, मुनीश वर्मा, मुनीश कुमार, पारस गुप्ता, अमन गोयल, सुदेश यादव, कुनाल राठौर, उपेन्द्र कश्यप, नितिन कश्यप, राहुल पटेल, देवाशुं आदि उपस्थित रहे।