BUDAUN SHIKHAR
बदायूं
रिपोर्ट -उदयवीर सिंह
अमूमन देखने और सुनने को मिलता है कि पुलिस चोरी, लूट और डकैती जैसे मुकदमों को लिखने के लिए पीड़ित से हजारों चक्कर लगाती है। उसके बावजूद भी पीड़ितों के सही मुकदमें नहीं लिखे जाते हैं, लेकिन उसहैत पुलिस बिना किसी तहकीकात और जांच पड़ताल के ही 32 लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। इनमे एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है जो तीन साल पहले ही मर चुका है।ऐसा नही कि इस घटना में पुलिस ही जिम्मेदार है, बल्कि इसका प्रमुख सूत्रधार गांव का सेक्रेटरी और उसका सहयोगी प्रधान है।
बताते चले पूरा मामला व्लाक उसावां के गांव पंचायत रिजोला का है इस गांव के 32 लोगों के खिलाफ जंगल में गायों के झुंड घूमने और फसल का नुकसान होने से गुस्से किसानो ने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया था।जिसके चलते प्रशासन ने सचिव से गायों को छुट्टा छोड़ने बालो की लिस्ट बनाकर मुकदमा दर्ज कराने को कहा था। लोगो का आरोप है कि सचिव ने प्रधान की सह पर 32 लोगो के खिलाफ उसहैत पुलिस ने संबंधित धाराओ में मुकदमा दर्ज करने की लिस्ट दी थी, जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। जब लोगो को मुकदमा दर्ज होने की बात पता चली तो लोगो ने पुलिस से सम्पर्क किया तो पता चला कि जिस हरपाल पुत्र ब्रजपाल के खिलाफ मुकदमा लिखा गया है वह तो तीन साल पहले ही मर चुका है।मृतक हरपाल के पुत्र रिंकू पुत्र हरपाल ने आरोप लगाते हुए बताया है कि मेरे पिता को मरे हुए 3 साल हो चुके हैं। अब मैं केवल न्यायालय की शरण मे ही जाऊंगा इधर इस लिस्ट में कई ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास न कोई गाय है और न ही कभी गाय पाली थी लेकिन, राजनीतिक दवाव के चलते थाना पुलिस ने हम लोगो पर गलत मुकदमा दर्ज कर दिया है जिसकी शिकायत वह संबंधित कई अधिकारियों से कर चुके है।लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही है।
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हमे जो सचिव ने जिन 32 लोगो की बनाकर दी थी उस लिस्ट के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। अगर हरपाल मृतक है या अन्य कोई ग्रामीण बेगुनाह है तो ये ग्राम रिजोला के सचिव व प्रधान की जिम्मेदारी बनती है इसमें थाना पुलिस की कोई कमी नही है । अमृत लाल, एसओ उसैहत।
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मृतक के खिलाफ एफ आई आर के बारे में मुझे कोई जानकारी नही है।अगर ऐसा हुआ है तो वास्तव में सचिव की जिम्मेदारी बनती है।जिस सचिव की लिस्ट पर मुकदमा दर्ज हुआ है, वह जिलाधिकारी के आदेश पर निलंबित चल रहा है।
बीपी सिंह, खण्ड विकास अधिकारी उसावां