राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत फैमिली हेल्थ इण्डिया द्वारा जिला स्वास्थ्य स्वास्थ्य समन्वय समिति बदायूं के समन्वय एवं गोदरेज से सहयोग से संचालित ‘एम्बेड परियोजना‘ के अन्तर्गत जनपद में मलेरिया की दृष्टि से अतिसंवेदनशी 140 गांव में व्यवहार परिवर्तन संचार सहजकर्ता के द्वारा आई0ई0सी0 एवं व्यवहार परिवर्तन हेतु व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामुदायिक स्तर से विभिन्न गतिविधियां, मलेरिया एवं डेंगू एवं वर्तमान कोविड सक्रमण से बचाव एवं कोविड टीकाकरण आदि को ध्यान में रखते हुए संचालित की जा रही हेैं। विश्व मलेरिया दिवस रिपोर्ट के अनुसार, दुनियां भर में कुल मलेरिया के मामलों में से 11 प्रतिशत भारत में होते है। मलेरिया का उपचार संभव है। इससे बचने के लिए क्या सावधानियां बरते इस संबंध मे डॉक्टर यशपाल सिंह जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी बदायूं एवं साक्षी पवार फैमिली हैल्थ इण्डिया-एम्बेड कोआर्डिनेटर बदायूं से हुई चर्चा के अंश…
पूरे दुनिया में कोरोना का कहर फैला हुआ है। इस बीच विश्व मलेरिया दिवस का आना इस बात को याद दिलाता है कि दुनिया में कई सारी ऐसी बीमारियां हैं जिनके कारण हर साल लोग बीमार होते हैं और मौत के मुंह में समा जाते हैं। मलेरिया, मच्छरों से फैलने वाला एक प्रमुख संक्रामक रोग है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रतिवर्ष विश्व में होने वाली कुल मौतों में से 30-33 प्रतिशत मौतें संक्रामक रोगो के कारण होती है। आम लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरूआत साल 2007 से की गई थी। इस दिन को इसलिए शुरू किया था जिससे की आम लोगों का ध्यान इस खतरनाक बीमारी की ओर जाए क्योंकि हर साल लाखों लोग इससे मर रहे थे। इस साल विश्व मलेरिया दिवस की थीम *‘’शुन्य मलेरिया की शुरुआत मुझसे‘’* है। हमारे देश को 2027 तक मलेरिया मुक्त करने का और 2030 तक इसके उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। वैसे पिछले दो दशको में हमारे देश में मलेरिया के मामलों में कमी आई है।
एक-दो महीने में बारिश शुरू होने वाली है, इस मौसम में मच्छर तेजी से पनपने लगते है और मलेरिया की आशंका बढने लगती है। हमारे देश में करोना की दूसरी लहर ने विकराल रूप ले लिया है। ऐसे में पहले से ही चरमराई हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव बढ जायेगा। अस्पतालों में भीड बढने से संक्रमण का खतरा भी बढ जायेगा। इसलिए पहले से ज्यादा सतर्क रहना जरूरी है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल डेंगू मलेरिया फैलने का खतरा अधिक है, और इस बार उपचार में भी परेशानियां आ सकती है। क्योंकि करोना में भी कुछ लक्षण इन बीमारियों के समान ही है।
*मलेरिया के कारण*
वेक्टर जीवित जीव होते है, जो संक्रामक रोगाणुओं को मानव से या पशुओं से मानव में फैलाते है। मलेरिया, एक प्रमुख वेक्टर होने वाली बीमारी है। जो संक्रमित मच्छरों की एक प्रजाति मादा एनीफिलीज मच्छर के काटने से होती है। जो प्लाजमोडियम परजीवी के कारण होता है जिससे ये मच्छर संक्रमित होते हैं। हालांकि कई सारे प्लाजमोडियम परजीवियों में से केवल पांच तरह के परजीवी इंसानों में मलेरिया फैलाते हैं। जिनमें से प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम पूरी दुनिया भर में ज्यादातर होने वाली मौते के लिए जिम्मेदार होते हैं। कोई असंक्रमित मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काट लेता है तो वह संक्रमित हो जाता है, जब यह संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण उसमें पहुंचा देता है। इस तरह संक्रमण का यह चक्र चलता रहता है। मलेरिया खून के जरिये फैलता है, इस कारण यह अंग प्रत्यारोपण, रक्तदान और सूई साझा करने से हो सकता है। एक संक्रमित मां प्रसव के समय इसे जन्म लेने वाले बच्चे में पास कर सकती है, जिसे कोनजेनाइटल मलेरिया कहते है।
*इन लक्षणों से पहचाने।*
संक्रमण के पश्चात मलेरिया के लक्षण आमतौर पर 10 दिन से 4 सप्ताहों में विकसित हो सकते है। कई मामलों में लक्षण कई महीनों तक विकसित नहीं हाते है, क्योंकि मलेरिया की परजीवी शरीर में प्रवेश कर लम्बे समय तक सुन्न अवस्था में पडे रहते हैं। अक्सर मलेरिया के कारण दिखाई देने वाले सामान्य लक्षण दूसरे संक्रामक रोगों में भी दिखाई देते हैं, इसलिए विशेष लक्षण इस पहचानने में सहायता करते है।
*समान्य लक्षण*
. सिरदर्द
. तेज बुखार
. अत्याधिक पसीना आना
. मांसपेशियों में दर्द होने
. उल्टी होना जी मचलाना
. खांसी आना
*विशेष लक्षण*
. अत्याधिक ठंढ लगने के कारण कपकपी आना
. छाती और पेट में तेज दर्द होना
. शरीर में ऐंठन होना
. मल के साथ रक्त आना
*डायग्नोसिस और उपचार*
लक्षणों के गंम्भीर होने का इंतजार न करें। तुरंत उपचार जरूरी है, क्योंकि लक्षण गंभीर होकर जानलेवा हो सकते है। आपकी उम्र, आप कौन से परजीवी से संक्रमित है, लक्षण कितने गंभ्भीर है। महिला गर्भवतीै तो नहीं है इसके आधार पर ही परजीवी को मारने के लिए दवाएं दी जाती हैं। मलेरिया के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। उपचार में देरी ना करें।
*बचाव के उपाय*
एनाफिलीस मच्छर अंधेरे में अधिक सकिय रहता है, ऐसे में शाम ढलने से लेकर सुबह होने तक इससे बचाव के लिए सभी जरूरी उपाय करें।
. ऐसे कपडे पहने जिसमें शरीर पूरी तरह ढका रहे।
. मच्छर ज्यादा हैं तो मच्छररोधी स्प्रे करें या लोशन लगाएं।
. मच्छरदानी में सोएं।
. अपने घर के आस-पास गंदा पानी होने ना दें, क्योंकि यह मच्छरों को ब्रीडिंग ग्राउण्ड हैं।
. जालीदार दरवाजे एवं खिडकियों का उपयोग करें।
. बाथरूम एवं टायलेट को यथा संभव साफ-सुथरा एवं सूखा रखें।
. घर के अन्दर और आस-पास गंदगी ना पनपने दें।