बदायूंl शांतिदूत लाल बहादुर शास्त्री और गांधी जी के जन्मदिन के उपलक्ष में संविलियन विद्यालय पडाआ विकास क्षेत्र जगत में समारोह का आयोजन किया गया जिसमें ग्राम प्रधान जयप्रकाश ने ध्वजारोहण किया एवं समस्त स्टाफ द्वारा माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पण किया गया छात्र-छात्राओं द्वारा कविता कहानी एवं देशभक्ति गीतों पर शानदार प्रस्तुति की इस मौके पर पुष्पा राठोर ने गांधी जी एवं शास्त्री जी के बारे में छात्रों को अवगत कराया उन्होंने कहा की 1952 में वे रेल मंत्री बने, लेकिन 1956 में तमिलनाडु में एक ट्रेन दुर्घटना में लगभग 150 यात्रियों की मौत के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दियाl

आधिकारिक उपयोग के लिए उनके पास शेवरले इम्पाला कार थी। एक बार उनके बेटे ने ड्राइव के लिए कार का इस्तेमाल किया। जब शास्त्री को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने अपने ड्राइवर से कहा कि कार का इस्तेमाल निजी इस्तेमाल के लिए कितनी दूरी पर किया गया और बाद में सरकारी खाते में पैसे जमा कर दिए गए।

भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई। देश भुखमरी की समस्या से गुजरने लगा था। इस संकट के समय में लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी तनख्वाह लेनी बंद कर दी और उन्‍होंने देश के लोगों से अपील की कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें। उनकी अपील को अच्छी प्रतिक्रिया मिली और सोमवार शाम को भोजनालयों ने शटर बंद कर दिए और जल्द ही लोगों ने इसे ‘शास्त्री व्रत’ कहना शुरू कर दिया।

इस मौके पर विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष रीना कुमारी ने कहा की लाल बहादुर शास्त्री जी 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद (11 जनवरी) को अंतिम सांस ली थी। उनकी मृत्यु को आज भी एक रहस्य माना जाता है। वह मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले व्यक्ति थेl आजादी के बाद वे 1951 में नई दिल्ली आ गए और केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला। वह रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री भी रहे।

अन्य शिक्षिकाओं ने भी उनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला अंत में मिष्ठान वितरण कर समारोह का समापन किया गया इस मौके पर रजनी यादव, प्रेमलता, सुनीता, अनामिका, रीना कुमारी ,दीप्ति गौतम ,ममता प्रभाकर ,सीमा भारती ,आदि लोग मौजूद रहेl

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