बदायूँ : भगवान परशुराम विद्या मन्दिर इण्टर कालेज नेकपुर छात्रावास में हिन्दी पखवाड़ा को समर्पित विचार गोष्ठी व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था के संस्थापक रामबहादुर पाण्डेय ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया ।
मुख्य अतिथि पूर्व विधायक प्रेमस्वरूप पाठक ने अपने उद्बोधन में हिंदी की महत्ता तथा आवश्यकता एवं इसकी संवैधानिक दृष्टिकोण पर चर्चा की। संवैधानिक स्तर पर हिंदी भाषा का महत्व भी बताया। हिंदी भाषा की राजभाषा के घोषणा को लेकर आज तक के हिंदी भाषा के क्षेत्र में हुए कार्यों तथा स्थिति पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रामबहादुर पाण्डेय ने हिंदी के राष्ट्रस्तर पर आवश्यकता को लेकर अपना उद्बोधन दिया। उन्होनें कहा की हिंदी ने हमारी अखण्डता को बनायें रखा है। हिंदी भाषा के कारण ही आज हम भारतवासी अनेकता से एकता के सूत्र में बधे हुए है।
विशिष्ट अतिथि डा. निशि अवस्थी हिन्दी प्राध्यापिका गिन्दो देवी महिला महाविद्यालय ने हिंदी दिवस पर हिंदी की महत्ता के संदर्भ को बताया। उन्होनें कहा कि इसकी क्षेत्र में युवाओं को आगे-आने की आवश्यकता है। हिंदी हमारी मातृभाषा है। जो संपूर्ण देश को एकता की सूत्र के बांधी रखी है।
विशिष्ट अतिथि डा. सरला चक्रवर्ती प्राध्यापिका समाज शास्त्र गिंदो देवी महिला महाविद्यालय ने कहा कि अगर हमे स्वराज्य के लिए जीना है। तो हमे हिंदी के लिए जीना होगा। हिंदी हमारे जीवन का आधार जो हमारे व्यक्तित्व तथा राष्ट्रीयता की परिचायक है।
विशिष्ट अतिथि डा. शिल्पी शर्मा अंग्रेजी प्राध्यापिका गिंदो देवी महिला महाविद्यालय ने और कारागार अधीक्षक डा. विनय दुवे ने भी अपने विचार ब्यक्त करते हुए कहा कि अधिक से अधिक हिन्दी में कार्य करें ।
इस अवसर पर वरिष्ठ शायर सुरेन्द्र नाज ने पंक्तियां पढ़ीं
मिरी बस्ती का हर बच्चा जो लक्ष्मण राम हो जाये
तो फिर घर के बुजुर्गों को बड़ा आराम हो जाये
डा निशि अवस्थी ने पढ़ा –
भारत मां के भाल चढ़ी हिन्दी का वन्दन करती हूं
हिन्दी की बेटी होकर मां हिन्दी का वन्दन करती हूं ।।
डा सरला चक्रवर्ती ने पढ़ा –
हमारी आत्मा भावनाओं का साज हिन्दी
सूर ,तुलसी ,कबीर,जायसी की लेखनी हिन्दी
प्रेमचंद निराला मीरा की तान हिन्दी
हम सबकी प्यारी हिन्दी
डा शिल्पी शर्मा ने पढ़ा कि
जाने क्यों सपनों में मुझको सीखी अंग्रेजी न आती है
जब गाती हूं सपनों में मैं हिन्दी की याद रह जाती है
मुख से निकली मेरी भाषा चाहे गुजराती सिंधी है
पर मन की भाषा हिन्दी है
कार्यक्रम का संचालन लोकप्रिय कवि पवन शंखधार ने किया। और संस्था के अध्यक्ष राजेश्वर पाठक ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर राहुल पाण्डेय, लीला पाण्डेय ,राजेश्वर पाठक, कुसुम सक्सेना, निवेदिता शंखधार, वाचस्पति शंखधार, उर्मिला शर्मा आदि उपस्थित रहे ।