बरेली: बहुत हर्ष का विषय है कि हमारे देश में शिक्षा की दिशा और दशा बदलने का समय आ गया है। 34 वर्ष बाद देश की शिक्षा नीति में परिवर्तन के ठोस कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में इक्कीसवी सदी की नवीन शिक्षा नीति को मंज़ूरी दे दी गयी है।
कई वर्षों से शिक्षा जगत से जुड़े सभी लोग शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन की आवाश्यकता महसूस करते थे। आख़िरकार आज 1000करोड़ से अधिक विश्वविद्यालयों, एक करोड़ से अधिक शिक्षकों और 33 करोड़ छात्र छात्राओं हेतु शिक्षा का ‘रेफ़्रेश’ बटन दब ही गया ।
हमारे मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब से शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कई महत्व पूर्ण बिंदु हैं, जैसे:
– *5वीं तक कम से कम और आठवीं और उससे आगे भी मुमकिन हुआ, तो स्थानीय भाषा या मातृभाषा में पढ़ना होगा.*
अर्थार्थ ,*हिंदी, अंग्रेजी जैसे विषय , भाषा के पाठ्यक्रम के तौर पर तो होंगे,* लेकिन *बाकी पाठ्यक्रम स्थानीय भाषा या मातृभाषा में होंगे.*
– *अभी तक हमारे देश में स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चलता है लेकिन अब ये 5+ 3+ 3+ 4 के हिसाब से होगा.*
यानी कि *प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक , एक भाग ,* फिर *तीसरी से पांचवी तक दूसरा भाग, छठी से आठवी तक तीसरा भाग और *नौंवी से 12 तक आखिरी भाग होगा.* बारहवीं में *बोर्ड की परीक्षा होगी, लेकिन उसमें भी कुछ परिवर्तन होंगे.*
– *छात्र स्वेच्छा के आधार पर विषय का चयन कर सकेंगे.* अगर *कोई छात्र विज्ञान के साथ संगीत भी पढ़ना चाहे, तो उसे ये विकल्प होगा.* दसवीं की परीक्षा और उसके स्वरूप को लेकर अभी थोड़ी असमंजस की स्थिति है. *व्यावसायिक पाठ्यक्रम कक्षा छ: से शुरू हो जाएंगे.*
*केवल 12वीं कक्षा में बोर्ड होगा ,MPhil बंद होगा ,कॉलेज की डिग्री 4 साल की होगी*
– *बोर्ड परीक्षा को ज्ञान आधारित बनाया जाएगा* और उसमें *रटकर याद करने की आदतों को कम से कम किया जाएगा.*
– *बच्चा जब स्कूल से निकलेगा, तो यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वो कोई ना कोई कौशल लेकर बाहर निकले.*
– *बच्चा स्कूली शिक्षा के दौरान अपनी रिपोर्ट कार्ड तैयार करने में भी भूमिका निभाएगा.* अब तक रिपोर्ट कार्ड केवल अध्यापक तय्यार करते हैं ,लेकिन *नई शिक्षा नीति में तीन हिस्से* होंगे. *पहला* बच्चा *अपने बारे में स्वयं मूल्यांकन* करेगा, *दूसरा* उसके सहपाठियों से होगा और *तीसरा* अध्यापक के जरिए.
– *ग्रेजुएट कोर्स में अब 1 साल पर सर्टिफिकेट, 2 साल पर डिप्लोमा, 3 साल पर डिग्री मिलेगी.अब कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल दोनों की होगी. 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं करना है.*
– *हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल* की *डिग्री करनी होगी,* उनके लिए *MA एक साल में करने का प्रावधान होगा.*
— *अब छात्रों को एम.फिल नही करना* होगा. *MA के छात्र अब सीधे PHd. कर सकेंगे.*
— *नई शिक्षा नीति स्कूलों और एच.ई.एस. दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा* देगी और *राष्ट्रीय पाली संस्थान, फारसी और प्राकृत , भारतीय अनुवाद संस्थान और व्याख्या की स्थापना की जाएगी।*
ये सभी बिंदु शिक्षा में नयी सोच को दर्शाते हैं। शिक्षा अधिक लचीली होगी, छात्रों के लिए अधिक विकल्प होंगे और साथ ही शिक्षकों का जीवन-स्तर भी सुधरेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हम स्वागत करते हैं ।सभी शिक्षविदों और छात्रों को शिक्षा क्षेत्र में इस सकारात्मत परिवर्तन की बधायी।
-डॉ विनय खंडेलवाल कार्यकारी निदेशक केसीएमटी, बरेली