वाशिंगटन । अनियमित दिनचर्या और भागदौड़ भरी जिंदगी हमें कई तरह से प्रभावित कर रही है। इसका असर हमारी नींद पर भी देखने को मिल रहा है। अच्छी नींद न लेने से हम पर कई तरह के बुरे प्रभाव पड़ते हैं। इस संबंध में किए गए एक नवीन अध्ययन में इसका एक और दुष्परिणाम सामने आया है। अध्ययन के आधार पर विज्ञानियों ने बताया है कि खराब नींद छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि कर रही है। इसका असर उनकी पढ़ाई पर भी पड़ रहा है।
इस तरह किया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में एक हजार से अधिक उन छात्र-छात्राओं को शामिल किया जो विश्वविद्यालय में पूर्णकालिक सत्र में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। शोधकर्ताओं ने अपने परिणाम में यह भी पाया कि जो छात्र अपर्याप्त नींद की आदतों से ग्रस्त थे उनमें अवसाद के लक्षण चार गुना अधिक देखे गए। इस अध्ययन के परिणाम एनल्स आफ ह्यूमन बायोलाजी में प्रकाशित किए गए हैं।
छात्राएं अधिक प्रभावित
शोधकर्ताओं ने पाया कि इस अध्ययन में शामिल आधे से अधिक विद्यार्थी (55 प्रतिशत) ऐसे थे, जिन्हें दिन में ज्यादा सोने की समस्या थी। इस वजह से उनमें अधिक तनाव के चलते अवसाद की आशंका लगभग दोगुनी थी। शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में छात्र और छात्राओं के आधार पर भी परिणामों को बांटा और पाया कि छात्रों की तुलना में छात्राओं में अच्छी नींद न लेने और दिन में ज्यादा नींद आने की समस्या अधिक थी।
देखने को मिलते हैं कई बुरे परिणाम
फेडरल यूनिवर्सिटी आफ मैटो ग्रोसो, ब्राजील के पोषण संकाय में कार्यरत और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डा. पाउलो रोड्रिग्स के मुताबिक, नींद संबंधी विकार विशेष रूप से कालेज के विद्यार्थियों के लिए हानिकारक हैं, क्योंकि वे अकादमिक जीवन पर कई नकारात्मक प्रभावों से जुड़े हैं। डा. रेड्रिग्स के मुताबिक, इससे विद्यार्थियों में एकाग्रता की कमी तो आती ही है, साथ ही उनकी उपस्थिति में कमी होने के अलावा पाठ्यक्रम से उनके बाहर होने की आशंका भी बनी रहती है।
यह है वजह
डा. रेड्रिग्स ने अपने इस अध्ययन में उन कारणों पर भी प्रकाश डाला है, जिनके चलते विद्यार्थी नींद संबंधी विकारों से ग्रसित होते हैं। बकौल डा. रेड्रिग्स, विश्वविद्यालयों का माहौल कई बार विद्यार्थियों पर इस कदर असर डालता है कि उन्हें अपनी नींद से समझौता करना पड़ता है। इसके पीछे पढ़ाई का तनाव और सामाजिक जीवन भी वजहें हो सकती हैं। इससे बचने के लिए विद्यार्थियों की नींद की आदत और मानसिक स्वास्थ्य की नियमित निगरानी करने की जरूरत है।
यह दिया सुझाव
शोधकर्ताओं ने विद्यार्थियों को चेताया है कि चूंकि सही से नींद न लेने के कारण तनाव बढ़ता है इसलिए यह जरूरी है कि वे जिस पाठ्यक्रम में हैं उसके अनुरूप पर्याप्त और सही नींद लेने के आदत डालने का प्रयास करें। ऐसा न करने पर उनका स्वास्थ्य तो प्रभावित होगा ही, साथ ही उनके अकादमिक प्रदर्शन पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। साथ ही शोधकर्ताओं ने विश्वविद्यालयों से यह आह्वान भी किया है कि वे विद्यार्थियों को अच्छी नींद और अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रेरित करें।