वाशिंगटन, एजेंसी कोरोना वायरस संक्रमण से लड़ने के लिए वैक्‍सीन एक कारगर उपाय है। इसलिए हर देश अपने नागरिकों के लिए ज्‍यादा से ज्‍यादा वैक्‍सीन जुटाने में लगा हुआ है। ऐसे में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन डब्‍ल्‍यूएचओ ने पहले भी कोरोना वैक्‍सीन के वितरण को लेकर आशंका जताई थी(WHO) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। डब्‍ल्‍यूएचओ प्रमुख का कहना है कि अमीर देशों ने इतनी कोरोना वैक्‍सीन जुटा ली है कि गरीब देशों के हाथ खाली नजर आ रहे हैं। ऐसे में गरीब देश कोरोना महामारी से कैसे लड़ पाएंगे।

डब्‍ल्‍यूएचओ ने पहले भी कोरोना वैक्‍सीन के वितरण को लेकर आशंका जताई थी। दरअसल, अमीर देशों ने अपनी जरूरत से ज्‍यादा वैक्‍सीन खरीद ली हैं। अमेरिका जैसे कई देशों ने वैक्‍सीन तैयार होने से पहले ही कंपनियों को ऑर्डर दे दिए थे। ऐसे में कंपनियां पहले इन देशों को ही वैक्‍सीन मुहैया करा रही हैं। डब्‍ल्‍यूएचओ ने भी इसी सच्‍चाई को अब दुनिया के सामने रखा है।

डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदनोम ने बताया, ‘उच्‍च और उच्‍च मध्‍यमवर्गीय देश दुनिया की 53 फीसद आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन दुनियाभर में तैयार हुई 83 प्रतिशत वैक्सीन प्राप्त कर चुके हैं। वहीं, दूसरी ओर निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में 47 फीसद लोग रहते हैं, लेकिन उनके हिस्‍से में वैक्‍सीन का सिर्फ 17 प्रतिशत हिस्‍सा आया है। ये बहुत बड़ा अंतर है, जो विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य के लिए चिंता का विषय है।’

वहीं, डब्ल्यूएचओ की मारिया वान करखोवे ने बताया कि भारत में पाए गए डबल म्यूटेंट यानी बी.1.617 वैरिएंट को हम वैश्विक स्तर पर चिंता के कारण के रूप में वर्गीकृत कर रहे हैं। ऐसी जानकारियां हैं, जिससे इसकी संक्रामकता बढ़ने का पता लग रहा है। बी.1.617 का करीबी वैरिएंट भारत में पिछले साल दिसंबर में देखा गया था। इससे पहले का एक वैरिएंट अक्टूबर, 2020 में देखा गया था। यह वैरिएंट अब तक कई देशों में फैल चुका है। तेजी से बढ़ते संक्रमण के कारण कई देशों ने भारत से आवाजाही सीमित या प्रतिबंधित कर दी है।

 

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