वाशिंगटन, एजेंसी। कोविड-19 रोधी टीके लेने से बच्चों के ‘मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम’ की चपेट में आने के संकेत नहीं मिले हैं। ‘द लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ’ में मंगलवार को प्रकाशित एक विश्लेषण में यह दावा किया गया है।

बच्चों में ‘मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम’ के कारण बुखार के साथ-साथ कम से कम उनके दो अंग प्रभावित हो सकते हैं और अक्सर पेट दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते या आंखें लाल होने आदि जैसे लक्षण भी नजर आते हैं। यह उन बच्चों में नजर आते हैं, जो कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। वयस्कों में लक्षण दुर्लभ ही नजर आते हैं। इससे कई बार अस्पताल में भर्ती होने की नौबत भी आ जाती है, लेकिन अधिकतर मरीज ठीक हो जाते हैं।

रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केन्द्रों (सीडीसी) के अनुसार, इसका पहला मामला 2020 की शुरुआत में ब्रिटेन में सामने आया था। कई बार इसके लक्षणों को कावासाकी रोग से भी जोड़ दिया जाता है, जिससे सूजन और हृदय संबंधी परेशानी होती है। फरवरी 2020 से अमेरिका में ‘मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम’ के 6800 से अधिक मामले सामने आए हैं।

कोविड-19 टीकाकरण सुरक्षा निगरानी के तहत रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) और अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने इसे प्रतिकूल लक्षणों की सूची में शामिल किया। जिन लोगों में कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कोई लक्षण नहीं मिले, उनमें दिखे कुछ अन्य लक्षणों ने सीडीसी और अन्य जगहों के शोधकर्ताओं को एक नया विश्लेषण करने के लिए प्रेरित किया।

वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय के बाल संक्रामक रोग विशेषज्ञ एवं बच्चों को दिए कोविड-19 रोधी ‘मॉडर्ना’ टीके के अध्ययन का नेतृत्व कर रहे डॉ. बडी क्रीच ने बताया कि ऐसी आशंका है कि टीकों के कारण ऐसा हुआ हो लेकिन यह केवल अटकल है और विश्लेषण में इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं।

क्रीच ने कहा, ‘‘ टीकों का इस बीमारी के साथ सटीक संबंध हमें नहीं पता है। मरीज के पहले संक्रमित ना होने के कारण केवल टीके को इसका कारण नहीं माना जा सकता।’’

 

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