इस्लामाबाद, एजेंसी : पाकिस्तान के ग्वादार इलाके में चल रहे जन संघर्ष को देश में अब एक एतिहासिक घटना समझा जाने लगा है। अपने बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिए पाकिस्तान में ऐसे जन संघर्ष की मिसालें बहुत कम हैं। आंदोलनकारी अपनी बात सत्ता के ऊंचे हलकों तक पहुंचाने में कामयाब रहे हैं, इसकी पुष्टि बुधवार को हुई, जब प्रधानमंत्री इमरान खान ने आंदोलनकारियों की मांग मानने के संकेत दिए।

एक ट्विट में इमरान खान ने कहा- ‘मैंने ग्वादार के मेहनतकश मछुआरों के बेहद वाजिब मांगों पर गौर किया है। गैर-कानूनी मछली मारने वाले लोगों के प्रति मैं सख्त कदम उठाऊंगा। इस बारे में मैं बलूचिस्तान प्रांत के मुख्यमंत्री से बात करुंगा।’ ग्वादार इलाका बलूचिस्तान प्रांत में ही है।

पीएमएल-नवाज ने किया आंदोलन का समर्थन

विपक्षी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) भी ग्वादार के आंदोलनकारियों के समर्थन अब खुल कर सामने आ गई है। पार्टी नेता और नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ ने इस आंदोलन को एक ‘एतिहासिक घटना’ बताया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के संविधान ने जो बुनियादी हक लोगों को दिए हैं, ग्वादार के लोग उन्हें हासिल करने के लिए ही संघर्ष कर रहे हैं। पाकिस्तानी मीडिया ने इस ओर ध्यान खींचा है कि शाहबाज शरीफ ने ये बयान अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से किए गए ट्विट के जरिए दिया। इसका मतलब यह माना गया है कि पीएमएल-नवाज ने इस आंदोलन के पक्ष में अब खुल कर खड़ा होने का फैसला कर लिया है।

शाहबाज शरीफ ने कहा कि ग्वादार के जन आंदोलन ने देश के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह ‘लोगों की आवाज’ सुने, और ‘उनकी समस्याओं’ का तुरंत हल निकाले। ग्वादार क्षेत्र में हजारों लोग महीने भर से धरना और प्रदर्शन कर रहे हैं। वे ट्रॉवलर्स के जरिए समुद्र में गैर कानूनी ढंग से मछली मारने पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। साथ ही उनकी मांग है कि उनके इलाकों में जन सुविधाएं निर्मित की जाएं और वहां चल रही परियोजनाओं में स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाए।

ट्रॉवलर्स के जरिए मछली मारने का धंधा

पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि ग्वादार न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि चीन के लिए भी एक संवेदनशील इलाका है। यहां की बंदरगाह परियोजना चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) प्रोजेक्ट का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। स्थानीय लोगों की शिकायत है कि जब से ये परियोजना यहां पहुंची है, तब से ही ट्रॉवलर्स के जरिए मछली मारने का धंधा वहां शुरू हुआ है। उससे स्थानीय मछुआरों की रोजी-रोटी प्रभावित हुई है।

ग्वादार में चीन के हितों को देखते हुए पाकिस्तान सरकार वहां दखल देने के मूड में नहीं थी। लेकिन लंबे चले जन संघर्ष का अब असर होता दिख रहा है। ग्वादार में जन आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मौलाना हिदायतुर रहमान प्रधानमंत्री इमरान खान के ताजा बयान का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र के लोग जिद्दी नहीं हैं, बल्कि वे भी समस्या का समाधान चाहते हैं। रहमान ने कहा कि उनके आंदोलन के 28वें दिन आखिरकार प्रधानमंत्री का ध्यान उस पर गया। इसे उन्होंने एक ‘स्वागतयोग्य घटनाक्रम’ कहा है।

 

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