संयुक्त राष्ट्र, एजेंसी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव की म्यांमा में विशेष दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने कहा कि म्यांमा के शरणार्थियों का भारत, थाईलैंड की सीमाओं और अन्य स्थानों पर प्रवेश एक गलत संकेत है और अभी महज शुरुआत मात्र ही है।
उन्होंने आगाह किया कि क्षेत्रीय सुरक्षा बदतर होगी और कहा कि क्षेत्र में कोई भी देश यह नहीं चाहेगा कि उसका पड़ोसी एक ‘‘असफल राज्य’’ हो।
म्यांमा की सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट किया और एक साल के लिए सत्ता अपने हाथ में ले ली। सेना ने म्यांमा की नेता आंग सान सू ची और राष्ट्रपति यू विन मिंट समेत शीर्ष राजनीतिक शख्सियतों को हिरासत में ले लिया। तख्तापलट के बाद देशभर में प्रदर्शन जारी हैं, जिसके खिलाफ सेना की कार्रवाई में सात बच्चों सहित सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों ने म्यांमा में स्थिति पर बुधवार को बंद कमरे में चर्चा की।
क्रिस्टीन श्रानेर बर्गनर ने इस बैठक में कहा, ‘‘ इसका क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है और आगे ये बदतर हो सकते हैं। म्यांमा के शरणार्थियों का भारत, थाईलैंड की सीमाओं और अन्य स्थानों पर प्रवेश एक गलत संकेत है और अभी महज शुरुआत मात्र ही है।’’
बर्गनर ने परिषद को बताया कि वह जल्द ही क्षेत्र का दौरा करना चाहती हैं, संभवत: अगले सप्ताह वह वहां जा पाएंगी। ‘एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस’ (आसियान) के सदस्यों और अन्य नेताओं के साथ उनकी बातचीत जारी है।
उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे पूरा भरोसा है कि आसियान देशों और म्यांमा के साथ सीमा साझा करने वाले अन्य देशों को एक असफल पड़ोसी नहीं चाहिए।’’