मास्को, एजेंसी : अमेरिका और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के सामने रूस ने अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ साफ रख दी है। इससे अमेरिका और यूरोपियन यूनियन (ईयू) का ये भय और गहरा गया है कि रूस और यूक्रेन के बीच अब युद्ध छिड़ सकता है। खबरों के मुताबिक रूस ने यूक्रेन से लगी अपनी सीमा पर एक लाख से अधिक सैनिक तैनात कर रखे हैँ।
रूस ने अपनी मांगें अमेरिका और नाटो को भेजी हैं। उसने कहा कि अगर इन मांगों को मान लिया जाए, तो दोनों पक्षों में मेलमिलाप हो सकता है। जबकि अगर रूस की तरफ से तय ‘लक्ष्मण रेखाओं’ का उल्लंघन किया गया, तो उससे तनाव और बढ़ेगा। पश्चिमी विश्लेषकों के मुताबिक रूस की मांगों को मानने का मतलब होगा कि यूक्रेन या किसी दूसरे पूर्व सोवियत गणराज्य के नाटो में शामिल होने की संभावना खत्म हो जाएगी। इसका यह अर्थ होगा कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से नाटो जिस मकसद को लेकर चलता रहा है, उस पर उसे विराम लगा जाएगा।
रूस की ‘लक्ष्मण रेखाएं’ खुद राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने तय की हैं। इस बारे में जो दस्तावेज भेजा गया है, उसमें नाटो से यह वादा करने को कहा गया है कि वह रूस पर हमला नहीं करेगा। नाटो अतीत में ऐसा वादा करने से इनकार करता रहा है। इस दस्तावेज में मौजूदा तनाव के लिए पुरी तरह नाटो और अमेरिका को दोषी ठहराया गया है। कहा गया है कि नाटो ने यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई कर भड़काऊ कदम उठाए हैँ।
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव ने मांग की है कि रूस की मांगों पर जल्द से जल्द जिनेवा में बातचीत शुरू की जाए। उन्होंने यहां कहा- ‘अमेरिका और नाटो ने हाल के वर्षों में आक्रामक रुख अपनाते हुए सुरक्षा की स्थिति को बिगाड़ा है। यह पूरी तरह अस्वीकार्य और अत्यधिक खतरनाक है। अमेरिका और नाटो से जुड़े उसके सहयोगियों को तुरंत अपने रूस विरोधी रुख पर लगाम लगानी चाहिए।’
अमेरिका ने अभी तक कोई संकेत नहीं दिया है कि वह रूस की मांगों को स्वीकार करेगा। इसके उलट जो बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने वॉशिंगटन में कहा- ‘रूस की जुबान लगातार सख्त होती जा रही है। यूक्रेन के मामले में वह झूठी कहानी बता रहा है, ताकि किसी तरह यूक्रेन को युद्ध छेड़ देने के लिए भड़काया जा सके।’ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका रूसी प्रस्ताव के कुछ पहलुओं पर बातचीत करने के लिए तैयार है। जबकि उसमें कई ऐसी बातें शामिल हैं, जो रूस को भी मालूम है कि अमेरिका को स्वीकार्य नहीं होंगी।
उधर नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा है कि नाटो रूस के साथ बातचीत के लिए तैयार है। लेकिन वार्ता तभी हो सकती है जब रूस भी नाटो की चिंताओं को दूर करने के लिए राजी हो। नाटो की चिंताएं रूस के कदमों और यूरोपीय सुरक्षा संबंधी अपने सिद्धांतों से जुड़ी हुई हैँ।
विश्लेषकों का कहना है कि नाटो के सदस्य देश रूसी प्रस्ताव को तुरंत सिरे से ठुकरा देने से बचना चाहते हैं। लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि रूस की कई मांगें उन्हें स्वीकार्य नहीं है। इनमें यह मांग भी शामिल है कि नाटो यूक्रेन को अपना सदस्य नहीं बनाएगा।