वाशिंगटन, एजेंसी : ऐसा लगता है कि अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में पहल जो बाइडन प्रशासन के हाथ से निकल गई है। इसकी एक वजह मास्क पहनने संबंधी दिशा-निर्देशों में हुआ गड़बड़झाला है। दूसरी वजह कोरोना वैक्सीन के
बूस्टर को लेकर विश्वसनीय दिशा-निर्देश जारी करने में उसकी नाकामी है। बाइडन प्रशासन के कुछ अधिकारी लोगों से वैक्सीन का बूस्टर डोज लगवाने की अपील कर रहे हैं। लेकिन ज्यादातर लोग उस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
बूस्टर डोज लगवाने के बारे में देश में लोगों की अलग-अलग राय है। एक राय यह है कि दवा कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए टीके की एक और डोज लगवाने की बात लोगों को बताई जा रही है। वैसे वैज्ञानिकों ने कहा है कि ऐसे लोगों को बूस्टर डोज जरूर लगवानी चाहिए कि इम्युनिटी कमजोर है। कुछ लोगों ने इस बात पर ध्यान भी दिया है। उन्होंने बूस्टर डोज लगवाई हैं। लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस बारे में अभी तक कोई स्पष्ट सरकारी दिशा-निर्देश ना आने के कारण भ्रम बना हुआ है।
वैक्सीन निर्माता कंपनियां महीनों से ये कह रही हैं कि कम से कम कुछ लोगों को टीके की दो डोज लेने के बाद एक बूस्टर डोज लगवाने की जरूरत पड़ेगी। कुछ दूसरे देशों में बूस्टर डोज लगाने की शुरुआत हो चुकी है। लेकिन बाइडेन प्रशासन ने अब तक सिर्फ यह कहा है कि संभव है बूस्टर डोज लगवाने की जरूरत पड़े। लेकिन इस बारे में जरूरी तथ्य लोगों के सामने नहीं रखे गए हैं।
आम चर्चाओं में ये सवाल पूछा जा रहा है कि जब कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट लगातार फैल रहा है, तो फिर वैक्सीन से कितना और कब तक बचाव होगा। वेबसाइट एक्सियोस.कॉम से बातचीत करते हुए बाइडन प्रशासन से जुड़े एक सूत्र ने स्वीकार किया कि सीडीसी (अमेरिका की रोग निवारण और नियंत्रण एजेंसी) ने नैरेटिव पर से अपना कंट्रोल खो दिया है।
वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्ना के अंतर्विरोधी बयानों से भी भ्रम फैला है। मॉडर्ना ने कहा है कि ठंड का मौसम आने से पहले बूस्टर डोज लगवाने की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन साथ ही ताजा आंकड़ों का हवाला देते हुए उसने यह भी कहा है डेल्टा सहित दूसरे वैरिएंट के मामलों में वैक्सीन की प्रभावशीलता चिंताजनक है। फाइजर कंपनी ने भी बूस्टर डोज की जरूरत बताई है।
लेकिन इस मामले में अनुसंधान संस्था- स्क्रिप्स रिसर्च के कार्यकारी उपाध्यक्ष एरिक टोपोल ने वेबसाइट एक्सियोस से कहा- ‘माना गया है कि फाइजर और मॉडर्ना का वैक्सीन बेचने में फायदा है। साथ ही उन्होंने अपने बयानों से भी भ्रम बढ़ाया है।’ न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग की प्रोफेसर सेलिन गाउंडर ने कहा है कि अभी तीसरे डोज की जरूरत सिर्फ 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और अस्पताल कर्मियों को है। लेकिन आखिरकार सबको तीसरा डोज लेना ही होगा। उन्होंने कहा- ‘मेरी राय हमें इसके लिए दिमागी तौर पर तैयार रहना चाहिए।’
इस बीच बताया जाता है कि डेल्टा वैरिएंट से बचाव की चिंता सबसे ज्यादा उन लोगों में है, जिन्होंने जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी की वैक्सीन लिया। इस वैक्सीन का सिर्फ एक डोज लगता है। इसके बूस्टर डोज से कितना लाभ होता है, इस बारे में अभी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
जानकारों के मुताबिक बाइडन प्रशासन जल्द ही बूस्टर डोज के बारे में आधिकारिक परामर्श जारी करेगा। लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि वह अपनी बात को किस हद तक लोगों के गले उतार पाएगा, असल सवाल यह है। फिलहाल, नैरेटिव उसके हाथ से फिसली हुई है।
