ब्रसेल्स, एजेंसी : वैश्विक न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स पर आम सहमति बन गई है। शुक्रवार को इस बारे में औपचारिक घोषणा होने की संभावना है, लेकिन इसे कैसे लागू किया जाएगा, इसको लेकर सवाल बने हुए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक वैश्विक सहमति या समझौता टैक्स चोरी करने वाली बड़ी कंपनियों पर लगाम कसने की दिशा में सिर्फ पहला कदम है। इसे लागू करने की राह दुर्गम है। इसलिए यह सोचना गलत होगा कि अंतरराष्ट्रीय समझौता होते ही नई कर व्यवस्था लागू हो जाएगी।

अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों की संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक कोई अंतरराष्ट्रीय करार तभी लागू होता है, जब देश की संसद उसे मंजूरी देती है। न्यूनतम ग्लोबल टैक्स पर अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए अमेरिका में बाइडन प्रशासन ने अपना पूरा जोर लगाया। उसकी वजह से 130 से ज्यादा देश इस पर अपनी रजामंदी दे चुके हैं, लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि बाइडन के सामने जितनी बड़ी चुनौती अंतरराष्ट्रीय वार्ता में थी, उससे कहीं बड़ी मुश्किल अमेरिकी सीनेट में पेश आएगी। विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के नेता पहले ही ऐसी पहल का विरोध कर चुके हैं।

फेसबुक, गूगल, एपल को दूसरे देशों में भी चुकाना होगा टैक्स

फेसबुक, गूगल, एपल जैसी कंपनियों का असर बढ़ने के बाद से विभिन्न देशों के सामने ये चुनौती रही है कि ऐसी कंपनियां उनके यहां जो कमाई करती हैं, उन पर वे कैसे टैक्स वसूलें। इन कंपनियों ने अपने मुख्यालय ऐसे देशों में बना रखे हैं, जहां टैक्स दरें बहुत कम हैं। नए समझौते के प्रावधानों के मुताबिक अब कंपनियों को उन देशों में टैक्स चुकाना होगा, जहां वे कारोबार करती हैं।

ईयू के 27 देशों को बदलाव करना होंगे

वेबसाइट पॉलिटिको.ईयू के मुताबिक यूरोपियन यूनियन (ईयू) के चार अधिकारियों ने उससे कहा कि ईयू के 27 सदस्य देशों को नई कर व्यवस्था लागू करने के लिए अपने घरेलू कानूनों में बदलाव करने होंगे। उन्होंने कहा कि ये कर व्यवस्था तभी सफल हो सकेगी, जब न सिर्फ ईयू के सभी सदस्य देश, बल्कि दुनिया के तमाम महत्वपूर्ण देश इसे लागू करने की तत्परता दिखाएं। समझौते पर अभी जो देश दस्तखत कर रहे हैं, बताया जाता है कि वे विश्व अर्थव्यवस्था के 90 फीसदी से ज्यादा हिस्से की नुमाइंदगी करते हैं।

पर्यवेक्षकों के मुताबिक नई व्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती अमेरिका में पेश आएगी। अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा है कि अमेरिकी कांग्रेस में बिना रिपब्लिकन पार्टी के समर्थन के भी वैश्विक न्यूनतम कर लागू करने के लिए जरूरी बिल पारित किया जा सकता है। लेकिन मीडिया विश्लेषणों को इस पर शक है। उन्होंने ध्यान दिलाया गया है कि अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन के कई प्रमुख आर्थिक कार्यक्रम संसद की मंजूरी नहीं मिलने की वजह से लटके हुए हैं।

रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर पैट्रिक टूमे ने हाल में कहा था कि वैश्विक न्यूनतम टैक्स से संबंधित प्रस्ताव पारित होने के लिए सीनेट में दो तिहाई वोटों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा- ‘ऐसा होने का कोई रास्ता मुझे नजर नहीं आता।’

दर 15 फीसदी करने पर सहमति

नई कर व्यवस्था के दायरे में सबसे पहले दुनिया की 100 बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाने का इरादा है। नई व्यवस्था के पैरोकारों का दावा है कि सिर्फ इन कंपनियों पर न्यूनतम टैक्स लगने से विभिन्न देशों की सरकारों को 20 अरब डॉलर का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। 130 से अधिक देशों के बीच वैश्विक न्यूनतम कॉरपोरेट टैक्स दर 15 फीसदी तय करने पर सहमति बनी है।

 

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