वाशिंगटन, एजेंसी। स्ट्रोक और डिमेंशिया रोग के जोखिम को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। यह शोध औसतन 56 साल की उम्र के 5,543 वयस्कों पर किए गए अध्‍ययन पर आधारित है। इसमें दावा किया गया है कि आंख की बीमारी रेटिनोपैथी से पीड़‍ित बुजुर्गो में स्ट्रोक के साथ ही डिमेंशिया का खतरा भी बढ़ सकता है। यह बीमारी इन खतरों का संकेत हो सकती है। रेटिना के पीछे की रक्त वाहिनियों को नुकसान पहुंचने पर यह बीमारी होती है।  :

ब्लड ग्लुकोज और उच्च रक्तचाप समस्‍या की बड़ी जड़

उच्च स्तर पर ब्लड ग्लुकोज रहने और उच्च रक्तचाप के कारण भी यह समस्या खड़ी हो सकती है। धुंधलापन, काले धब्बे दिखना और रंगों को पहचानने में कठिनाई रेटिनोपैथी के प्रमुख लक्षण हैं। इंटरनेशनल स्ट्रोक कांफ्रेंस 2021 में प्रस्तुत अध्ययन के अनुसार, सामान्य लोगों की तुलना में रेटिनोपैथी पीडि़त प्रतिभागियों में स्ट्रोक का खतरा दो गुना ज्यादा पाया गया, जबकि करीब 70 फीसद में डिमेंशिया का खतरा पाया गया। यह अध्ययन अमेरिका के मायो क्लीनिक जैक्सनविले के शोधकर्ताओं की ओर से किया गया है।

औसतन 56 साल की उम्र के 5,543 वयस्कों पर किया गया शोध

यह निष्कर्ष औसतन 56 साल की उम्र के 5,543 वयस्कों पर किए गए एक शोध के आधार पर निकाला गया है। अध्ययन में रेटिनोपैथी से स्ट्रोक और डिमेंशिया के संबंध के साथ ही मौत के खतरे पर भी गौर किया गया। इन प्रतिभागियों से स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां एकत्र की गई थीं। इसके बाद जोखिम के कारकों मसलन उम्र, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), डायबिटीज और धूमपान को लेकर आकलन किया गया। मायो क्लीनिक की शोधकर्ता मिशेल पी लिन ने कहा, ‘अगर कोई रेटिनोपैथी से पीडि़त है तो उसे अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। इससे इन खतरों को टाला जा सकता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *