कोलंबो, एजेंसी। श्रीलंका ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के आरोप से इनकार किया कि सेना असैन्य कामकाज में अपनी भूमिका का विस्तार कर सकती है। साथ ही कहा कि सरकार के पहल का उद्देश्य बढ़ती महंगाई के बीच खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।

जिनेवा में श्रीलंका के मानवाधिकार की स्थिति पर ब्यौरा देते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बेशले ने सोमवार को चिंता जताई कि गहराते आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका में आर्थिक आपातकाल घोषित किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘श्रीलंका में 30 अगस्त को नया आपातकाल घोषित किया गया, जिसका उद्देश्य गहराते आर्थिक संकट के बीच खाद्य सुरक्षा और कीमतों पर नियंत्रण करना है। आपातकाल के नियम काफी विस्तृत हैं और इससे असैन्य कामकाज में सेना की भूमिका का विस्तार हो सकता है।’’

बेशलेट ने कहा कि उनका कार्यालय श्रीलंका की सरकार द्वारा नये कानूनों को लागू करने पर नजर बनाए हुए है।

इन बयानों पर प्रतिक्रिया करते हुए सरकार के प्रवक्ता और सूचना मंत्री डुलेस अलाहापेरूमा ने कहा, ‘‘कोई सैन्यकरण नहीं हो रहा है। सरकार ने जो किया वह खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपातकाल नियमों में दो उप नियमों को संशोधित करना मात्र है।’’

अलाहापेरूमा ने कहा कि खाद्य सुरक्षा में सेना की सीमित भूमिका होगी, जबकि सुरक्षा बलों ने कोविड-19 महामारी के लिए टीकाकरण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संचालित किया है।

 

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