कैनबरा : एक यौन संक्रामक रोग की वजह से ऑस्ट्रेलिया की दुर्लभ प्रजाति कोआला (koala) का वजूद खतरे में पड़ गया है। वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से फैल रही बीमारी के कारण इस प्रजाति के पूरी तरह खत्म हो जाने की आशंका पैदा हो गई है।

मुख्य भोजन यूकिलिप्सट के पत्ते

कोआला के लिए मुश्किल क्लैमाइडिया नाम की बीमारी बनी है। यह यौन संबंधों के दौरान फैलने वाला रोग है। इस रोग की वजह बैक्टीरिया का संक्रमण है। ये रोग मनुष्यों को भी होता है। एक अनुमान के मुताबिक हर साल दुनिया में दस करोड़ लोग इस यौन रोग से पीड़ित होते हैँ। विशेषज्ञों का कहना है कि क्लैमाइडिया के बेकाबू रहने पर कोआला अंधेपन का शिकार हो जाते हैं। साथ ही उनकी प्रजजन नली में अल्सर हो जाता है। इसकी वजह से उनकी मौत भी हो सकती है।

मनुष्य में क्लैमाइडिया का इलाज एंटी-बायोटिक्स से होता है। लेकिन कोआला में एंटी-बायोटिक का गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिला है। इसकी वजह से उनके पाचन तंत्र में मौजूद रहने वाले सूक्ष्म जीवाणु मर जाते हैं। कोआला का मुख्य भोजन यूकिलिप्सट के पत्ते हैं। उन पत्तों के पाचन के लिए इन जीवाणुओं की मौजूदगी अनिवार्य है। विशेषज्ञों के मुताबिक कई कोआला क्लैमाइडिया से मुक्ति पाने के बाद इसलिए मर जाते हैं, क्योंकि इलाज के दौरान उनका पाचन तंत्र बिगड़ चुका होता है।

कोआला एक भालू जैसा जानवर है। इसके पहले भी उनके बीच क्लैमाइडिया का संक्रमण फैल चुका है। 2008 में इसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य में लगभग दस फीसदी कोआला आबादी की मौत हो गई थी। यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में पशु रोग के विशेषज्ञ मार्क क्रोकेनबर्गर ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन को बताया कि फिलहाल ऑस्ट्रेलिया में मौजूद इस दुर्लभ प्रजाति की 85 फीसदी आबादी क्लैमाइडिया से पीड़ित हो गई है।

प्रजनन योग्य नहीं बची आबादी

क्रोकेनबर्गर ने कहा- ‘अगर आप इस पर गौर करें, तो अब इस प्रजाति में इतने प्रजनन की योग्य आबादी नहीं बची है, जिससे इसका अस्तित्व बचा रहे। क्लैमाइडिया से पीड़ित ज्यादातर मादा कोआला एक या अधिक से अधिक दो साल में बांझ बन जाती हैं। इसलिए अगर वे जीवित रहें, तब भी प्रजनन के योग्य नहीं बचतीं।’

विशेषज्ञों का कहना है कि कोआला पहले से ही जंगलों में आग लगने और जंगलों की कटाई की वजह से संकट में थे। अब क्लैमाइडिया के फैलने से उनका वजूद खतरे में पड़ता दिख रहा है।

इस बीच वैज्ञानिकों ने पशुओं को क्लैमाइडिया से बचाने के लिए वैक्सीन का परीक्षण शुरू किया है। क्रोकेनबर्गर ने कहा कि अगर वैक्सीन का प्रयोग का सफल नहीं रहा, तो पशुओं की प्रजातियों का अस्तित्व खत्म होने की समस्या गंभीर रूप ले लेगी। कोआला को ऑस्ट्रेलिया का गौरव कहा जाता है। ये प्रजाति सिर्फ इसी देश में पाई जाती है। ऑस्ट्रेलिया के सांस्कृतिक समारोहों में इसका अक्सर प्रदर्शन किया जाता है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजरवेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने कोआला को उन पशुओं की सूची में रखा है, जो विलुप्त होने के कगार पर हैं। ऑस्ट्रेलिया कोआला फांडेशन के मुताबिक अब इस पशु की संख्या सिर्फ 58 हजार ही बची है।

 

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