वॉशिंगटन, एजेंसी : ध्यान और योग का फायदा बड़े-बुजुर्गों को ही नहीं बच्चों को भी मिलता है। जिन बच्चों ने गहरी सांस लेना, योग और माइंडफुलनेस सीखी, उनकी नींद लंबी और बेहतर हुई। इसमें करीब 74 मिनट का इजाफा देखने को मिला। यह दावा स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की स्टडी में किया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक प्राथमिक स्कूल में पाठ्यक्रम के तहत सीखी गई इन तकनीकों से बच्चों को भावनात्मक रूप से ज्यादा स्थिर होने और नींद की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिली।
स्टडी की वरिष्ठ लेखिका रूथ ओहारा के मुताबिक बच्चों को बिस्तर पर जल्दी भेज देना कारगर हो जरूरी नहीं, पर ये तकनीकें जरूर काम करती हैं। जिन बच्चों ने इस पाठ्यक्रम में हिस्सा लिया था उनकी नींद में हर रात 74 मिनट इसके अलावा उनींदेपन (जागने की स्थिति) में भी 24 मिनट का इजाफा देखने को मिला।
करीब दो साल तक चली इस स्टडी में तीसरी और पांचवीं क्लास में पढ़ने वाले एक हजार से ज्यादा बच्चों को शामिल किया गया था। नींद के आकलन के लिए 115 बच्चों को चुना गया। इसके लिए पाठ्यक्रम वाले समूह में 57 बच्चे और नियंत्रण समूह में 58 बच्चों को रखा गया था। पाठ्यक्रम शुरू होने से पहले, एक साल बाद और दो साल बाद, इस तरह तीन स्तरों पर आकलन किया गया। दिमागी गतिविधियां जानने के लिए बच्चों के सिर पर इलेक्ट्रोड कैप लगाई गई। इसके अलावा सांसों, हार्ट रेट और ब्लड ऑक्सीजन स्तर पर भी निगरानी रखी गई।
स्टडी की प्रमुख लेखिका क्रिस्टिना चिक कहती हैं कि अपेक्षा के मुताबिक नियंत्रण समूह में बच्चों की नींद में करीब 63 मिनट की कमी देखने को मिली, जबकि पाठ्यक्रम वाले समूह के बच्चों में नींद में एक घंटे से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई। चिक कहती है कि बड़े बच्चों में नींद की कमी की वजह होमवर्क पूरा करने, दोस्तों से बातचीत करने के लिए ज्यादा देर जागना हो सकती है। इस उम्र में हार्मोनल बदलाव और दिमागी विकास भी नींद पर असर डालते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि अच्छी नींद का सीधा संबंध बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में बेहतर प्रदर्शन से भी है।
बच्चों को तनाव से निपटना सिखाया गया, इससे उनकी नींद में सुधार हुआ
पाठ्यक्रम का फोकस बच्चों को माइंडफुलनेस और गहरी सांस लेने वाली तकनीकें सिखाने के साथ योग अभ्यास पर रहा। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि माइंडफुलनेस एक तरह से ध्यान ही है। फर्क सिर्फ इतना है कि ध्यान लगाने के लिए किसी तय वक्त पर अलग-से कोशिश करनी होती है। जबकि माइंडफुलनेस में जिस पल, जहां होते हैं, अपना पूरा ध्यान वहीं लगाना होता है और उस पल को पूरी तरह महसूस करना होता है। प्रशिक्षकों ने बच्चों को तनाव को पहचानना और इसे खत्म करना सिखाया। जाहिर है इन सभी बातों का समग्र फायदा बच्चों को बेहतर नींद के तौर पर मिला।